आंधी तूफान (Thunderstorms) एक तीव्र वायुमंडलीय घटना होती है, जिसमें बिजली, तेज हवाएँ, और बारिश होती है। इस घटना में आमतौर पर तेज हवाओं के साथ-साथ गर्जना और बिजली की चमक भी शामिल होती है। आंधी-तूफान विशेष रूप से गर्म और आर्द्र मौसम में अधिक विकसित होते हैं।
भारत में ये प्रायः गर्मी और वर्षा ऋतु में देखने को मिलते हैं, और कभी-कभी इनमें ओलावृष्टि भी हो सकती है।
आंधी तूफान कैसे बनते हैं?
आंधी तूफान के बनने की प्रक्रिया में कई प्राकृतिक कारक शामिल होते हैं:
- गर्म और नम हवा: आंधी तूफान के बनने के लिए गर्म और नम हवा का होना आवश्यक है। जब गर्म हवा सतह से ऊपर उठती है, तो यह ठंडी होकर संघनित हो जाती है, जिससे बादल बनते हैं और ऊर्जावान गतिविधियाँ आरंभ होती हैं।
- लिफ्टिंग मैकेनिज्म: गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा के संपर्क में आने पर संघनन होने लगता है, जिससे बादल और ऊर्जावान गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं। यह प्रक्रिया बादलों के अधिक ऊंचाई तक उठने का कारण बनती है, जिससे आंधी-तूफान बनता है।
- उर्ध्वाधर हवा का प्रवाह: तूफान बनने में ऊपर और नीचे की ओर हवाओं का प्रवाह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हवा के इस प्रवाह से बादल अधिक ऊंचाई तक पहुँचते हैं, और बिजली तथा बारिश की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
आंधी-तूफान के चरण
आंधी तूफान का विकास तीन चरणों में होता है:
- कुंडलीय चरण (Cumulus Stage): इस चरण में गर्म हवा ऊपर उठती है, और कुंडलीय बादल बनना शुरू होते हैं। बादलों का आकार बढ़ता जाता है, और संघनन की प्रक्रिया होती है।
- परिपक्व चरण (Mature Stage): इस चरण में आंधी-तूफान अपनी पूरी तीव्रता पर होता है। भारी बारिश, बिजली की गर्जना, और तेज हवाएँ चलती हैं। ठंडी हवा तेजी से नीचे आती है और तेज हवा का प्रवाह ऊपर की ओर होता है।
- विघटन चरण (Dissipating Stage): इस चरण में तूफान कमजोर हो जाता है, क्योंकि ठंडी हवा का प्रभुत्व होता है और ऊर्ध्वाधर हवा का प्रवाह समाप्त हो जाता है। धीरे-धीरे बारिश कम होती जाती है और बादल खत्म हो जाते हैं।
आंधी-तूफान के प्रकार
आंधी-तूफान कई प्रकार के होते हैं, जैसे:
- सिंगल-सेल तूफान: ये छोटे और कम समय तक चलने वाले तूफान होते हैं, जिनमें हल्की से मध्यम बारिश और गरज होती है।
- मल्टी-सेल क्लस्टर तूफान: इनमें कई छोटे-छोटे सेल होते हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इनमें भारी बारिश, तेज हवाएँ और कभी-कभी ओले भी गिर सकते हैं।
- सुपरसेल तूफान: ये सबसे खतरनाक प्रकार के तूफान होते हैं, जिनमें एक शक्तिशाली घुमावदार हवा का स्तंभ होता है। ये तूफान बवंडर (Tornado) का कारण भी बन सकते हैं।
- स्क्वाल लाइन: यह एक लम्बी रेखा होती है, जिसमें आंधी-तूफान का एक समूह होता है। यह आमतौर पर तेज हवाओं के साथ होती है और लंबी दूरी तक फैल सकती है।
आंधी-तूफान के प्रभाव
आंधी तूफान से कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे:
- बिजली गिरना: आंधी-तूफान के दौरान बिजली गिरने की संभावना अधिक होती है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है। बिजली गिरने से पेड़, बिजली के खंभे और अन्य ऊँची संरचनाएँ नष्ट हो सकती हैं।
- तेज हवाएँ: आंधी-तूफान के साथ चलने वाली तेज हवाएँ पेड़-पौधों, बिजली के खंभों और कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
- भारी बारिश: आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश भी होती है, जो नदियों के जल स्तर को बढ़ा देती है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
- ओले गिरना: ठंडी और संघनित हवा के कारण कभी-कभी ओले भी गिरते हैं, जो फसलों और वाहनों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- बवंडर: सुपरसेल तूफान के कारण बवंडर उत्पन्न हो सकते हैं, जो एक छोटा लेकिन अत्यंत शक्तिशाली घुमावदार स्तंभ होता है। बवंडर अत्यधिक विनाशकारी होते हैं और बड़ी मात्रा में तबाही मचा सकते हैं।
आंधी-तूफान से बचाव के उपाय
आंधी-तूफान से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए:
- चेतावनी पर ध्यान दें: मौसम विभाग से समय-समय पर चेतावनी और अपडेट प्राप्त करें और सुरक्षित स्थानों पर जाएँ।
- बिजली गिरने से बचें: आंधी-तूफान के दौरान पेड़ों, खुले मैदानों और जलाशयों से दूर रहें। किसी धातु की वस्तु को न छुएँ।
- अंदर रहें: तेज हवाओं और बिजली से बचने के लिए सुरक्षित और पक्की इमारतों में शरण लें।
- वाहनों का उपयोग न करें: खुले वाहन जैसे मोटरसाइकिल और साइकिल का उपयोग न करें और अगर संभव हो तो वाहन को कवर या सुरक्षित स्थान पर रखें।
Leave a Reply