भारत में जल संघर्ष (Water Conflicts) एक गंभीर मुद्दा है, जो बढ़ती जनसंख्या, कृषि की मांग, जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों के असमान वितरण के कारण उत्पन्न होता है।
विभिन्न राज्यों के बीच जल संघर्ष की कुछ प्रमुख घटनाएँ और कारण निम्नलिखित हैं:
1. नदियों का बंटवारा
- भारत में अधिकांश नदियाँ बहुप्रदेशीय हैं, और उनके पानी के वितरण को लेकर राज्यों के बीच संघर्ष होते हैं। उदाहरण के लिए, कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर कर्नाटका और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। कर्नाटका अपने जलाशयों में पानी की आवश्यकता को लेकर अपने अधिकारों की मांग करता है, जबकि तमिलनाडु इसे कृषि के लिए आवश्यक मानता है।
2. गंगा-यमुना का जल बंटवारा
- गंगा और यमुना नदियों के जल का उपयोग उत्तर प्रदेश, बिहार, और हरियाणा जैसे राज्यों के बीच जल वितरण को लेकर संघर्ष उत्पन्न कर रहा है। विशेषकर, हरियाणा और पंजाब के बीच भी सरस्वती नदी के जल को लेकर विवाद है।
3. गुजरात-राजस्थान जल संघर्ष
- साबरमती नदी के जल के वितरण को लेकर गुजरात और राजस्थान के बीच विवाद है। राजस्थान के किसान इस जल का उपयोग अपने सिंचाई के लिए करना चाहते हैं, जबकि गुजरात अपनी पानी की आवश्यकता के लिए इसे रोकना चाहता है।
4. तेलंगाना-आंध्र प्रदेश संघर्ष
- कृष्णा और Godavari नदियों के जल बंटवारे को लेकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद उत्पन्न होता रहता है। तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद जल संसाधनों को लेकर विवाद और बढ़ गया है।
5. पंजाब-हरियाणा जल संघर्ष
- रावी नदी के जल के उपयोग को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच तनाव है। हरियाणा अपने लिए अधिक जल की मांग करता है, जबकि पंजाब इसे रोकने के लिए प्रतिरोध करता है।
6. कर्नाटका-तमिलनाडु विवाद
- कावेरी नदी के जल बंटवारे पर संघर्ष के कारण कई बार हिंसक संघर्ष भी हुए हैं। न्यायालयों में विवाद और आपसी समझौतों की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
7. गंगा-नमामि गंगे योजना
- गंगा नदी के जल को लेकर विभिन्न राज्यों के बीच समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि जल प्रदूषण और जल के सही उपयोग को लेकर विवाद। नमामि गंगे योजना में भी विभिन्न राज्यों की भूमिका और जिम्मेदारियाँ तय करने में चुनौतियाँ आती हैं।
8. जलवायु परिवर्तन
- जलवायु परिवर्तन के कारण नदियों के जल स्तर में बदलाव और मानसून की अनियमितता भी जल संघर्षों को बढ़ा रही है। विशेष रूप से, सूखा और बाढ़ जैसी स्थितियाँ राज्यों के बीच जल के बंटवारे को और अधिक जटिल बना देती हैं।
9. राज्य सीमाओं के निर्धारण में जल स्रोतों का महत्व
- राज्यों के बीच सीमाओं के निर्धारण में जल स्रोतों की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। जैसे कि, कर्णाटक और गोवा के बीच सीमाई विवाद जल स्रोतों के बंटवारे के कारण भी है।
10. सरकारी नीतियाँ और विवाद
- केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियाँ भी जल विवादों को प्रभावित करती हैं। कई बार नीतियों की अस्पष्टता और निर्णयों की अनुपस्थिति के कारण विवाद उत्पन्न होते हैं।
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