अपवाह तंत्र (Drainage System) एक जटिल प्रणाली है जो जल के प्रवाह और संग्रह के लिए जिम्मेदार होती है। यह मुख्य रूप से नदियों, नालों, और जल धाराओं का एक नेटवर्क होता है, जो बारिश, बर्फबारी, और अन्य जल स्रोतों से प्राप्त जल को एकत्रित करता है और इसे मुख्य जल निकायों की ओर ले जाता है, जैसे महासागर, झीलें या अन्य नदियाँ।
अपवाह तंत्र के प्रमुख घटक
- मुख्य नदी (Main River):
- यह अपवाह तंत्र का केंद्रीय तत्व होता है, जो जल को एकत्रित करती है और अन्य सहायक धाराओं से जल प्राप्त करती है।
- यह नदी अपने प्रवाह के दौरान विभिन्न भूभागों को पार करती है और जल के लिए एक मार्ग प्रदान करती है।
- सहायक धाराएँ (Tributaries):
- ये छोटी नदियाँ या नाले होते हैं जो मुख्य नदी में मिलते हैं।
- सहायक धाराएँ जल को मुख्य नदी तक पहुँचाने में मदद करती हैं और इसे समृद्ध बनाती हैं।
- जलागम क्षेत्र (Watershed):
- यह वह भूमि क्षेत्र होता है जो किसी विशेष नदी प्रणाली के जल को संचित करता है।
- जलागम क्षेत्र की सीमाएँ आमतौर पर पहाड़ियों या पर्वतों द्वारा निर्धारित होती हैं।
- जल निकासी क्षेत्र (Drainage Basin):
- यह वह क्षेत्र होता है जहाँ से जल बहकर किसी नदी में पहुँचता है।
- जल निकासी क्षेत्र जल के प्रवाह के लिए एक प्राकृतिक जलाशय के रूप में कार्य करता है।
अपवाह तंत्र के प्रकार
- डेंड्रिटिक अपवाह तंत्र (Dendritic Drainage System):
- यह पेड़ की शाखाओं की तरह होता है, जहाँ धाराएँ एक मुख्य धारा से विभिन्न दिशाओं में फैलती हैं।
- यह आमतौर पर समतल या हल्के ढलान वाले भूभाग में पाया जाता है।
- रेडियल अपवाह तंत्र (Radial Drainage System):
- इसमें धाराएँ एक केंद्रीय बिंदु से बाहर की ओर फैलती हैं, जैसे ज्वालामुखीय क्षेत्र में।
- यह ज्वालामुखीय पहाड़ियों के चारों ओर सामान्यतः पाया जाता है।
- ट्रेलिस अपवाह तंत्र (Trellis Drainage System):
- यह जाल की तरह होता है, जहाँ धाराएँ समानांतर और फिर बुनाई के पैटर्न में मिलती हैं।
- यह मोड़दार भूभाग में देखा जाता है, जहाँ भूगर्भीय संरचना का प्रभाव होता है।
- पैरलेल अपवाह तंत्र (Parallel Drainage System):
- इसमें धाराएँ समानांतर बहती हैं, जो अक्सर सपाट भूमि पर होती हैं।
- सेंट्रिपेटल अपवाह तंत्र (Centripetal Drainage System):
- इसमें धाराएँ एक केंद्रीय बिंदु की ओर प्रवाहित होती हैं, जैसे झील के चारों ओर।
- सेंट्रीफुगल अपवाह तंत्र (Centrifugal Drainage System):
- इस प्रकार में धाराएँ एक केंद्रीय बिंदु से बाहर की ओर बहती हैं।
- अनियमित अपवाह तंत्र (Irregular Drainage System):
- इसमें धाराओं का कोई निश्चित पैटर्न नहीं होता और ये विभिन्न दिशाओं में बिखरी होती हैं।
अपवाह तंत्र के कार्य
- जल का संचयन: यह वर्षा, बर्फबारी और अन्य जल स्रोतों से प्राप्त जल का संग्रह करता है।
- जल का प्रवाह: यह जल का प्रवाह और वितरण सुनिश्चित करता है, जो क्षेत्र की जलवायु और पारिस्थितिकी पर प्रभाव डालता है।
- जल का निकास: यह जल को मुख्य जल निकायों की ओर निकास करने में मदद करता है, जो बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण है।
अपवाह तंत्र का महत्व
- पारिस्थितिकी संतुलन: यह पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे जीव-जंतुओं और पौधों की विविधता सुनिश्चित होती है।
- कृषि: अपवाह तंत्र जल आपूर्ति को सुनिश्चित करता है, जो कृषि के लिए आवश्यक है।
- जलवायु नियंत्रण: यह जलवायु में बदलाव को नियंत्रित करने में योगदान देता है।
- जल प्रबंधन: यह बाढ़ नियंत्रण, जल संरक्षण और जल के उचित उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मानव गतिविधियों का प्रभाव
मानव गतिविधियों, जैसे शहरीकरण, कृषि, और औद्योगिकीकरण का अपवाह तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जल का अत्यधिक दोहन, भूमि उपयोग परिवर्तन, और प्रदूषण जल स्रोतों को प्रभावित करते हैं। जल निकासी प्रणालियों के अव्यवस्थित विकास से बाढ़, भूमि कटाव और जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
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