प्राचीन गठन (पूर्व कैम्ब्रियन) – आर्कियन संरचनाएँ (The Archaean Formations – Pre-Cambrian)
परिचय: प्राचीन गठन के अंतर्गत आने वाली आर्कियन संरचनाएँ (Archaean Formations) पूर्व कैम्ब्रियन काल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये संरचनाएँ पृथ्वी के शुरुआती इतिहास का निर्माण करती हैं और भू-आकृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती हैं। आर्कियन युग लगभग 4 अरब वर्ष से 2.5 अरब वर्ष पहले का समय है, और यह उस समय को दर्शाता है जब पृथ्वी का क्रस्ट ठंडा होकर स्थिर हो रहा था, और जीवन का प्रारंभिक विकास हो रहा था।
1. आर्कियन संरचनाओं का महत्व:
- पुरातन चट्टानें (Ancient Rocks): आर्कियन संरचनाएँ पृथ्वी की सबसे पुरानी चट्टानों से संबंधित हैं। इनमें मुख्यतः आग्नेय (igneous) और कायांतरित (metamorphic) चट्टानें पाई जाती हैं।
- महाद्वीपीय क्रस्ट का निर्माण: इस युग में महाद्वीपीय क्रस्ट की शुरुआती परतों का निर्माण हुआ। पृथ्वी का प्रारंभिक क्रस्ट पतला और अस्थिर था, लेकिन धीरे-धीरे यह सघन हुआ और वर्तमान महाद्वीपों का आधार बना।
- प्रारंभिक प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics): आर्कियन युग के दौरान भूवैज्ञानिक प्लेटों की गति और टकराव से पर्वतीय श्रंखलाओं का निर्माण हुआ। यह शुरुआती प्लेट विवर्तनिकी का प्रमाण है।
2. प्रमुख आर्कियन संरचनाएँ:
- ग्रीनस्टोन बेल्ट (Greenstone Belts):
- ये बेल्ट कायांतरित और वोल्कैनिक चट्टानों से बनी हैं और आर्कियन काल की एक प्रमुख संरचना हैं।
- ग्रीनस्टोन बेल्ट्स में आग्नेय चट्टानों (जैसे बेसाल्ट) और तलछटी चट्टानों की उपस्थिति होती है, जो जीवन के शुरुआती रूपों के प्रमाणों का भी संकेत देती हैं।
- भारत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में ग्रीनस्टोन बेल्ट्स प्रमुख रूप से पाई जाती हैं।
- ग्रेनाइट-ग्नाइस संरचनाएँ (Granite-Gneiss Complexes):
- यह आर्कियन युग की मुख्य संरचना है और दुनिया की कुछ सबसे पुरानी चट्टानों से बनी होती है।
- ग्रेनाइट और ग्नाइस चट्टानों में भिन्न-भिन्न खनिज पाए जाते हैं, जो आर्कियन काल के भू-गर्भीय इतिहास को दर्शाते हैं।
- ये चट्टानें भारत के पेनिनसुलर शील्ड क्षेत्र में पाई जाती हैं, जैसे कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश।
3. भारत में आर्कियन संरचनाएँ:
- पेनिनसुलर शील्ड (Peninsular Shield): भारत में आर्कियन संरचनाएँ विशेष रूप से दक्षिण भारत के पेनिनसुलर शील्ड क्षेत्र में पाई जाती हैं। यह क्षेत्र आर्कियन काल की पुरातन चट्टानों और ग्रीनस्टोन बेल्ट्स का समूह है।
- धारवाड़ क्रेटन (Dharwar Craton):
- यह भारत का एक प्रमुख क्रेटन है, जो आर्कियन युग की चट्टानों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- धारवाड़ क्रेटन में ग्रीनस्टोन बेल्ट्स और ग्रेनाइट-ग्नाइस परिसरों की उपस्थिति है।
- इस क्षेत्र में सोना, लोहा और मैंगनीज जैसे खनिज संसाधनों की प्रचुरता है।
- सिंहभूम क्रेटन (Singhbhum Craton):
- यह पूर्वी भारत (झारखंड) में स्थित है और आर्कियन काल की पुरानी चट्टानों से बना है।
- सिंहभूम क्रेटन के ग्रीनस्टोन बेल्ट्स में लौह अयस्क और अन्य खनिजों की उपस्थिति होती है।
4. आर्कियन काल में जीवन:
- आर्कियन युग के दौरान पृथ्वी पर सबसे प्रारंभिक जीवन का विकास हुआ। इस युग में सूक्ष्मजीवों का जन्म हुआ, जो मुख्यतः प्रोकैरियोट्स थे।
- साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) और स्ट्रोमेटोलाइट्स (Stromatolites) आर्कियन युग के प्रमुख जीवन रूप थे। इनकी वजह से वायुमंडल में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हुआ, जिससे आगे चलकर जीवन के जटिल रूपों का विकास संभव हुआ।
5. खनिज संसाधन:
- आर्कियन संरचनाएँ खनिज संसाधनों में समृद्ध होती हैं। इन संरचनाओं में सोना, हीरा, लोहे और अन्य धातुओं की प्रचुरता होती है।
- ग्रीनस्टोन बेल्ट्स सोने और अन्य धातुओं के प्रमुख स्रोत हैं।
- ग्रेनाइट-ग्नाइस परिसरों में भी कीमती धातुएँ और खनिज पाए जाते हैं।
6. प्राकृतिक प्रक्रियाएँ:
- आर्कियन काल के दौरान पृथ्वी की जलवायु अस्थिर थी। ज्वालामुखीय गतिविधियाँ अत्यधिक थीं, और अधिकांश स्थलाकृति ज्वालामुखी प्रक्रियाओं से प्रभावित थी।
- पृथ्वी के ठंडे होने के साथ-साथ महासागरों का निर्माण हुआ और जीवन का विकास समुद्र में शुरू हुआ।
7. समाप्ति:
- आर्कियन युग के अंत तक, पृथ्वी पर महाद्वीपीय प्लेटें स्थिर हो गई थीं और जीवन ने बहुकोशिकीय रूप लेना शुरू कर दिया था।
- इसके बाद का काल प्रोटेरोजोइक युग (Proterozoic Eon)
था, जिसमें वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि हुई और जीवन ने जटिल रूप लेना शुरू किया।
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