सिस्मिक गतिविधियाँ और गैस उत्सर्जन ज्वालामुखी विस्फोट का पूर्वानुमान करने में महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं। इन दोनों पहलुओं का अध्ययन ज्वालामुखी की सक्रियता, उसके अंदर की प्रक्रियाओं और संभावित विस्फोटों के जोखिम को समझने में मदद करता है।
यहाँ इन दोनों का विस्तार से वर्णन किया गया है:
1. सिस्मिक गतिविधियों का अध्ययन
सिस्मिक गतिविधि से तात्पर्य उन भूकंपों और भूगर्भीय झटकों से है जो ज्वालामुखी के भीतर या उसके आसपास होते हैं। इन गतिविधियों की निगरानी और विश्लेषण निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
- भूकंपीय नेटवर्क:
- वैज्ञानिक विशेष उपकरणों का उपयोग करके भूकंपीय नेटवर्क स्थापित करते हैं, जो ज्वालामुखी के आसपास भूकंपों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं। ये नेटवर्क भूगर्भीय परिवर्तन और संभावित विस्फोटों का आकलन करने में मदद करते हैं।
- भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण:
- भूकंप के डेटा का विश्लेषण करके वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार के भूकंपों (जैसे, ट्रैप, वर्टिकल, और क्षैतिज) के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। जब मैग्मा जमीन के नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता है, तो यह सिस्मिक गतिविधियों में वृद्धि कर सकता है।
- भूकंप की संख्या और तीव्रता:
- ज्वालामुखी के आस-पास भूकंपों की संख्या और उनकी तीव्रता का अध्ययन यह दर्शा सकता है कि ज्वालामुखी कितनी सक्रिय है। भूकंपों की वृद्धि विस्फोट की संभावना को इंगित कर सकती है।
2. गैस उत्सर्जन का अध्ययन
गैस उत्सर्जन ज्वालामुखी गतिविधियों का एक अन्य महत्वपूर्ण संकेतक है। जब ज्वालामुखी सक्रिय होता है, तो वह विभिन्न गैसों, जैसे कि:
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
- हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S)
को उत्सर्जित करता है। गैस उत्सर्जन का अध्ययन निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
- गैस विश्लेषण उपकरण:
- वैज्ञानिक विशेष गैस विश्लेषण उपकरणों का उपयोग करके ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों का मापन करते हैं। यह डेटा संभावित विस्फोटों की पहचान करने में सहायक होता है।
- गैसों का अनुपात:
- विभिन्न गैसों के अनुपात में परिवर्तन, जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर, ज्वालामुखी की सक्रियता का संकेत दे सकता है। उदाहरण के लिए, SO₂ का स्तर बढ़ना संभावित विस्फोट का एक संकेत हो सकता है।
- स्थलीय सर्वेक्षण:
- वैज्ञानिक स्थल पर जाकर भी गैस उत्सर्जन की निगरानी करते हैं, जिससे वे उस क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
3. सिस्मिक और गैस गतिविधियों का संबंध
- संबंधित परिवर्तन:
- अक्सर, सिस्मिक गतिविधियों में वृद्धि गैस उत्सर्जन में भी परिवर्तन के साथ होती है। जब मैग्मा का दबाव बढ़ता है, तो यह गैसों को ज्वालामुखी के भीतर से बाहर निकालता है।
- पूर्वानुमान में योगदान:
- जब सिस्मिक गतिविधियों के साथ गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है, तो यह ज्वालामुखी विस्फोट की संभावनाओं का संकेत दे सकता है।
Leave a Reply