धारवार प्रणाली की चट्टानों की संरचना और गठन प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी जा रही है:
धारवार प्रणाली
धारवार प्रणाली भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे भारतीय भूगर्भीय संरचना में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह प्रणाली मुख्य रूप से कर्नाटक राज्य में पाई जाती है, लेकिन इसके अवशेष अन्य राज्यों में भी देखे जा सकते हैं।
संरचना
- आयु: धारवार प्रणाली की चट्टाएं प्राचीन मानी जाती हैं, जिनकी आयु लगभग 2.5 से 3.5 अरब वर्ष है।
- प्रकार: धारवार प्रणाली में विभिन्न प्रकार की चट्टाएं शामिल हैं:
- आइस्लेटेड क्रिस्टलिन चट्टाएं: जिनमें ग्रेनाइट और गनीस शामिल हैं।
- स्ट्रेटिफाइड चट्टाएं: जैसे कि शेल, सैंडस्टोन और स्लीट्स।
- उपचट्टान: जैसे कि शेल और कांक्रीट।
गठन प्रक्रिया
- गहरी ज्वालामुखी गतिविधियाँ: धारवार प्रणाली का गठन गहरी ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण हुआ। इस प्रक्रिया में गर्म मैग्मा पृथ्वी की आंतरिक परतों से बाहर आकर ठोस होकर चट्टानों का निर्माण करता है।
- धाराओं का संचलन: धारवार प्रणाली की चट्टानों का गठन धाराओं के संचलन से भी हुआ है। पानी की धाराएँ और हवाएँ चट्टानों को घिसकर नए निर्माण का कारण बनती हैं।
- उपस्राव: इस प्रक्रिया में उपस्राव के माध्यम से चट्टानों का निर्माण होता है। जैसे-जैसे धूल और कण जमा होते हैं, वे चट्टानों का रूप धारण करते हैं।
- भूस्खलन और अपक्षय: चट्टानों का अपक्षय और भूस्खलन भी उनकी संरचना और गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष
धारवार प्रणाली की चट्टानें प्राचीन और जटिल संरचनाओं का परिणाम हैं, जो भूगर्भीय गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं से विकसित हुई हैं। इन चट्टानों का अध्ययन भूविज्ञान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास और विकास को समझने में मदद करती हैं।
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