नदियों का धारा परिवर्तन (Channel Migration) एक भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसमें समय के साथ नदी का बहाव मार्ग (channel) बदलता रहता है। नदियाँ विभिन्न कारणों से अपनी धारा या दिशा बदल सकती हैं, जिनमें प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारक शामिल हैं।
धारा परिवर्तन के प्रमुख कारण और प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. अपरदन (Erosion)
- नदी के किनारे और तटबंधों का अपरदन नदी की धारा को बदल सकता है।
- जब तेज बहाव के कारण नदी एक किनारे पर अधिक कटाव करती है, तो धारा उस दिशा में खिसकने लगती है।
- यह प्रक्रिया अधिकतर पर्वतीय क्षेत्रों और ढलानों वाले क्षेत्रों में देखी जाती है।
2. निक्षेपण (Deposition)
- जहां नदी की धारा धीमी होती है, वहां मिट्टी, बालू, और गाद जमा हो जाती है। इसे निक्षेपण कहा जाता है।
- निक्षेपण से नदी के तल में बदलाव होता है, जिससे उसकी धारा मोड़ ले सकती है।
- यह प्रक्रिया मैदानों में अधिक होती है, जहां नदी के बहाव की गति धीमी होती है।
3. बाढ़ (Flooding)
- बाढ़ के दौरान, नदी अपने प्राकृतिक मार्ग से बाहर निकल जाती है और आसपास के क्षेत्रों में पानी भर जाता है।
- बाढ़ के बाद, नदी एक नए मार्ग में स्थिर हो सकती है, जिससे धारा में बदलाव होता है।
- यह प्रक्रिया विशेष रूप से निचले मैदानों में होती है, जहां बाढ़ का प्रभाव अधिक होता है।
4. भूकंपीय गतिविधि (Seismic Activity)
- भूकंप या टेक्टोनिक हलचल के कारण भूमि में परिवर्तन होते हैं, जिससे नदी का बहाव मार्ग प्रभावित हो सकता है।
- भूकंप के कारण भूमि की सतह में उभार या दरारें आ सकती हैं, जो नदी के मार्ग को बदल सकती हैं।
5. मानवीय गतिविधियाँ (Human Activities)
- बाँध, नहरों का निर्माण, नदी के तटों पर शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियाँ भी नदियों की धारा को प्रभावित करती हैं।
- जब नदी का प्राकृतिक मार्ग बदल दिया जाता है, तो उसकी धारा एक नया मार्ग बनाने लगती है।
- रेत और गाद की निकासी भी नदी के तल को प्रभावित करती है, जिससे धारा में बदलाव हो सकता है।
6. प्राकृतिक अवरोध (Natural Obstructions)
- भारी वर्षा या भूस्खलन के कारण नदियों में अचानक अवरोध उत्पन्न हो सकते हैं, जो नदी की धारा को मोड़ सकते हैं।
- कभी-कभी पेड़, बड़े पत्थर या मिट्टी का जमाव नदी के बहाव को बदल देता है, जिससे नदी नया मार्ग चुन सकती है।
7. मेअंडर बनना (Formation of Meanders)
- नदियाँ मैदानों में बहते समय ज़्यादा मोड़ या वक्र बनाती हैं, जिसे मेअंडर कहा जाता है।
- समय के साथ इन मोड़ों का आकार बदलता है और नदी नए मार्ग बनाने लगती है।
- इस प्रक्रिया के कारण पुराने धारा मार्ग का परित्याग करके नदी एक नए मार्ग में बहने लगती है।
8. धारा का कट-ऑफ (Cut-off Formation)
- जब नदी का एक मोड़ (meander) बहुत तीव्र हो जाता है, तो पानी एक सीधा रास्ता बनाकर पुराने मोड़ को काट सकता है।
- इस प्रक्रिया में नदी का पुराना भाग अलग हो जाता है और एक नया धारा मार्ग बनता है।
- इस प्रकार के धारा परिवर्तन से नदी का मार्ग अपेक्षाकृत सीधा हो सकता है।
धारा परिवर्तन के प्रभाव
- पर्यावरणीय प्रभाव: धारा परिवर्तन से नदी तट के आसपास की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के आवास स्थान प्रभावित हो सकते हैं।
- बाढ़ का खतरा: धारा परिवर्तन के कारण नए क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- कृषि और सिंचाई पर प्रभाव: नदी की धारा में बदलाव से कृषि योग्य भूमि और सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होती है।
- जल निकासी प्रणाली पर प्रभाव: पुराने नदी मार्ग का परित्याग जल निकासी व्यवस्था को भी प्रभावित करता है, जिससे जलभराव की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
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