भारत में बसेरों और शहरीकरण के अध्ययन के लिए भूगोल में विभिन्न प्रकार के बसेरों का वर्गीकरण, ग्रामीण और शहरी बस्तियों के प्रकार, नगरीय विकास, और शहरी योजना पर ध्यान दिया जाता है।
आइए इन सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें:
1. बसेरों का वर्गीकरण (Classification of Settlements)
- प्रमुख प्रकार: बसेरों को सामान्यत: ग्रामीण और शहरी बस्तियों में विभाजित किया जाता है।
- ग्रामीण बस्तियाँ: इनमें कृषि आधारित समुदाय शामिल होते हैं। यहाँ पर मुख्यतः कच्चे मकानों, खुली जगहों, और कृषि कार्य पर आधारित गतिविधियाँ होती हैं।
- शहरी बस्तियाँ: इनमें अधिक जनसंख्या घनत्व, आधुनिक अधोसंरचना, व्यावसायिक गतिविधियाँ और सामाजिक सेवाओं का विस्तार होता है।
2. ग्रामीण बस्ती के प्रकार (Types of Rural Settlements)
- समूहित (Clustered Settlements): ये बस्तियाँ गाँव में एक समूह के रूप में होती हैं, जहाँ घर आपस में करीब होते हैं। इनमें सहायक और परस्पर निर्भरता अधिक होती है।
- विखंडित (Dispersed Settlements): ये बस्तियाँ ऐसे स्थानों पर होती हैं जहाँ घर एक-दूसरे से दूर स्थित होते हैं। यह आमतौर पर पहाड़ी और वन क्षेत्र में पाई जाती हैं।
- अर्ध-संकेन्द्रित (Semi-clustered Settlements): ये बस्तियाँ मध्यम प्रकार की होती हैं, जो न तो पूरी तरह से समूहित होती हैं और न ही विखंडित। इनमें छोटी आबादी होती है और अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाती हैं।
3. नगरीय विकास (Urban Development)
- परिभाषा: नगरीय विकास शहरी क्षेत्रों के विस्तार और उसमें नए विकास कार्यों का समावेश है। इसमें अधोसंरचना, सड़कों, परिवहन, आवास, और सेवाओं का विकास शामिल होता है।
- महत्त्व: नगरीय विकास से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, आवासीय क्षेत्रों का विस्तार होता है और जीवन स्तर में सुधार होता है।
4. भारतीय शहरों की आकारिकी (Morphology of Indian Cities)
- आकृति: भारतीय शहरों की आकारिकी विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे बहु-केन्द्रित शहर, नियोजित शहर, और ऐतिहासिक शहर। प्रत्येक शहर का विस्तार और संरचना उस शहर के भौगोलिक, ऐतिहासिक, और सांस्कृतिक कारकों पर निर्भर करता है।
- उदाहरण: चंडीगढ़ और जयपुर नियोजित शहरों के उदाहरण हैं जबकि वाराणसी और दिल्ली ऐतिहासिक शहरों के उदाहरण हैं।
5. झुग्गी-झोपड़ी और संबंधित समस्याएँ (Slums and Associated Problems)
- समस्याएँ: झुग्गी-झोपड़ियाँ अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थित होती हैं, जहाँ स्वच्छता, स्वास्थ्य सुविधाएँ, और रोजगार की समस्याएँ अधिक होती हैं। यहाँ पर सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं।
- प्रभाव: इन क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता निम्न होती है और कई बार यह सामाजिक अस्थिरता और अपराध दर को भी बढ़ावा देता है।
6. शहरीकरण की समस्याएँ (Problems of Urbanization)
- अधिक जनसंख्या घनत्व: शहरी क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण परिवहन, स्वच्छता, और जल निकासी जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- पर्यावरण प्रदूषण: शहरीकरण के कारण वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है, जो निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- अपर्याप्त अधोसंरचना: तेज शहरीकरण के कारण आवश्यक सुविधाओं जैसे पानी, बिजली, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी हो जाती है।
7. भारत में नगर योजना (Urban Planning in India)
- परिभाषा: नगर योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में आवास, परिवहन, पर्यावरण, और सामाजिक सेवाओं का संतुलित विकास करना है।
- प्रमुख योजनाएँ: भारत में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JNNURM) और स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएँ शहरी विकास के लिए लागू की गई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य शहरी बुनियादी ढाँचा और निवासियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार करना है।
8. शहरी योजना के सिद्धांत (Principles of Urban Planning)
- भूमि उपयोग योजना (Land Use Planning): इस सिद्धांत के तहत शहरी क्षेत्र की भूमि का उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, और औद्योगिक जरूरतों के अनुसार किया जाता है।
- ट्रांसपोर्ट प्लानिंग (Transport Planning): इस सिद्धांत के अनुसार शहरी क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए सड़कों, मेट्रो और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विकास किया जाता है।
- पर्यावरणीय स्थिरता (Environmental Sustainability): शहरी योजना में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जल संरक्षण, हरियाली क्षेत्र, और प्रदूषण नियंत्रण पर भी ध्यान दिया जाता है।
- सामाजिक समावेशन (Social Inclusion): इस सिद्धांत का उद्देश्य शहरी विकास में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी को सुनिश्चित करना है ताकि सभी को उचित सुविधाएँ प्राप्त हो सकें।
इन बिंदुओं के माध्यम से भारत में बसेरों का वर्गीकरण, नगरीय विकास, शहरीकरण की समस्याएँ, और नगर योजना के सिद्धांतों को समझा जा सकता है। इन सभी पहलुओं का अध्ययन शहरी भूगोल में महत्वपूर्ण है और इनसे समाज के विकास को बेहतर रूप में समझा जा सकता है।
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