भारत में ऋतुएँ विशेष प्राकृतिक घटनाओं, तापमान में बदलाव, और जलवायु स्थितियों के आधार पर विभाजित की गई हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार, छह ऋतुएँ होती हैं, और प्रत्येक ऋतु का विशेष महत्व है।
यहाँ इन ऋतुओं का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. वसंत ऋतु (Spring Season)
- अवधि: फरवरी से अप्रैल
- विशेषताएँ: इसे ‘ऋतुओं का राजा’ कहा जाता है। वसंत का आगमन शीत ऋतु के बाद होता है, जिससे ठंडक कम होती है और मौसम में सुखद बदलाव आता है। इस समय पेड़-पौधों में नई पत्तियाँ आती हैं और चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। तापमान मध्यम रहता है, न अधिक गर्म और न अधिक ठंडा।
- प्रभाव: यह ऋतु नई ऊर्जा और ताजगी का प्रतीक मानी जाती है। खेतों में फसलें पकने लगती हैं, विशेषकर गेहूँ, जौ और सरसों।
- त्योहार: वसंत पंचमी, होली। वसंत पंचमी ज्ञान और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और होली रंगों का पर्व है।
2. ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)
- अवधि: अप्रैल से जून
- विशेषताएँ: ग्रीष्म ऋतु में तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, और यह साल की सबसे गर्म ऋतु होती है। गर्म हवाएँ चलती हैं, जिन्हें ‘लू’ कहा जाता है। दिन लम्बे होते हैं और रातें छोटी होती हैं।
- प्रभाव: इस समय लोग शीतल पेय और ठंडे वातावरण की खोज में रहते हैं। नदियों और तालाबों में पानी का स्तर कम होने लगता है और सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खेतों में पानी की कमी होती है और सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है।
- त्योहार: इस समय कई क्षेत्रों में गणगौर, रथ यात्रा जैसे छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं।
3. वर्षा ऋतु (Monsoon Season)
- अवधि: जून से सितंबर
- विशेषताएँ: इस ऋतु में मानसून की वर्षा होती है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून के कारण पूरे देश में बारिश होती है। बारिश से तापमान में गिरावट आती है और वातावरण में हरियाली बढ़ जाती है।
- प्रभाव: भारत की कृषि वर्षा पर निर्भर करती है, और इस समय खरीफ की फसलें जैसे धान, मक्का, सोयाबीन आदि बोई जाती हैं। जल स्रोतों जैसे नदियों, तालाबों और झीलों में पानी का स्तर बढ़ जाता है। हालांकि, अत्यधिक वर्षा से बाढ़ की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
- त्योहार: रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी। इन त्योहारों में परिवार और सामूहिकता का उत्सव मनाया जाता है।
4. शरद ऋतु (Autumn Season)
- अवधि: सितंबर से नवंबर
- विशेषताएँ: वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है। इस समय आकाश साफ होता है और धूप मध्यम होती है। मौसम ठंडा और खुशनुमा हो जाता है। तापमान धीरे-धीरे गिरने लगता है।
- प्रभाव: इस समय खेतों में फसल कटाई का समय होता है, जैसे धान और मक्का। खेतों से धान की कटाई होने के कारण यह ऋतु किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।
- त्योहार: दुर्गा पूजा, नवरात्रि, दशहरा, दिवाली। दुर्गा पूजा और दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और दिवाली को रोशनी का पर्व कहा जाता है।
5. हेमंत ऋतु (Pre-Winter Season)
- अवधि: नवंबर से जनवरी
- विशेषताएँ: शरद ऋतु के बाद ठंड बढ़ने लगती है, और यह प्री-विंटर की तरह होती है। सुबह और शाम में ठंडक महसूस होती है, लेकिन दिन में हल्की गर्माहट रहती है। यह ऋतु सर्दी के आगमन का संकेत देती है।
- प्रभाव: इस समय गेहूँ, जौ और सरसों की बुआई की जाती है। वातावरण में ताजगी रहती है, और लोग ठंडी जलवायु का आनंद लेते हैं।
- त्योहार: कार्तिक पूर्णिमा, गुरुपर्व, मकर संक्रांति। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है, और मकर संक्रांति पर सूर्य को श्रद्धा अर्पित की जाती है।
6. शिशिर ऋतु (Winter Season)
- अवधि: जनवरी से फरवरी
- विशेषताएँ: यह साल की सबसे ठंडी ऋतु होती है। तापमान बहुत कम हो जाता है, और उत्तर भारत में कोहरा और ठंडी हवाएँ आम होती हैं। बर्फबारी भी देखने को मिलती है, खासकर हिमालयी क्षेत्रों में।
- प्रभाव: लोग गर्म कपड़ों का उपयोग करते हैं और ठंड से बचने के लिए आग का सहारा लेते हैं। इस समय गेहूँ, जौ आदि की फसलें बढ़ती हैं। शीत ऋतु में शरीर को गर्म रखने के लिए लोग विशेष आहार जैसे तिल, गोंद और सूखे मेवे का सेवन करते हैं।
- त्योहार: लोहड़ी, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी। लोहड़ी और मकर संक्रांति फसलों के उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं, और वसंत पंचमी पर वसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है।
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