सतपुड़ा, विंध्य और अरावली पर्वत श्रृंखलाएँ भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएँ हैं, जिनका न केवल भूगर्भीय महत्व है, बल्कि ये विभिन्न जलवायु, पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक विशेषताओं का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
नीचे इन तीनों पर्वत श्रृंखलाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
1. सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला
- स्थान और भूगोल: सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला मध्य भारत में स्थित है, जो मुख्यतः मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में फैली हुई है। यह पर्वत श्रृंखला उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर फैली हुई है।
- उच्चता: इसकी औसत ऊँचाई 1,200 से 1,500 मीटर है। सबसे ऊँचा शिखर “धूपगढ़” है, जिसकी ऊँचाई 1,350 मीटर है।
- भूगर्भीय संरचना: यह पर्वत श्रृंखला प्राचीन चट्टानों से बनी है, जिनमें मुख्यतः सैंडस्टोन, शेल, और ग्रेनाइट शामिल हैं। इसकी संरचना जुरासिक और क्रीटेशियस काल से संबंधित है।
- जलवायु: सतपुड़ा क्षेत्र में मानसून का प्रभाव अधिक होता है, जिससे यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। यहाँ की वर्षा 1,200 से 2,000 मिमी तक होती है।
- जैव विविधता: सतपुड़ा वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, और विभिन्न पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व इस क्षेत्र का प्रमुख संरक्षित क्षेत्र है।
2. विंध्य पर्वत श्रृंखला
- स्थान और भूगोल: विंध्य पर्वत श्रृंखला मध्य भारत में स्थित है और उत्तर में सतपुड़ा से जुड़ी हुई है। यह मुख्यतः मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में फैली हुई है।
- उच्चता: इसकी औसत ऊँचाई 600 से 1,000 मीटर है। विंध्य पर्वत का सबसे ऊँचा शिखर “सद्-भावना शिखर (गुडविल पीक)” है, जिसकी ऊँचाई 752 मीटर है।
- भूगर्भीय संरचना: विंध्य पर्वत श्रृंखला मुख्यतः बेसाल्टिक चट्टानों और सैंडस्टोन से बनी है। इसका निर्माण मुख्यतः मध्य प्राचीन काल में हुआ।
- जलवायु: विंध्य क्षेत्र में मानसूनी जलवायु होती है। यहाँ वार्षिक वर्षा 1,200 से 1,500 मिमी तक होती है, जिससे यहाँ की वनस्पति घनी है।
- पारिस्थितिकी: विंध्य क्षेत्र में अनेक जल निकाय और वन्यजीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ के जंगलों में कई औषधीय पौधे भी होते हैं।
3. अरावली पर्वत श्रृंखला
- स्थान और भूगोल: अरावली पर्वत श्रृंखला भारत के पश्चिमी भाग में, मुख्यतः राजस्थान में स्थित है। यह पर्वत श्रृंखला उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर फैली हुई है।
- उच्चता: अरावली पर्वत श्रृंखला की औसत ऊँचाई 600 से 1,200 मीटर है। इसका सबसे ऊँचा शिखर “गुरु शिखर” है, जिसकी ऊँचाई 1,722 मीटर है।
- भूगर्भीय संरचना: यह पर्वत श्रृंखला प्राचीन क्रेटेशियस और प्रोटेरोज़ोइक चट्टानों से बनी है। यहाँ ग्रेनाइट, ग्नेiss, और सैंडस्टोन का मिश्रण पाया जाता है।
- जलवायु: अरावली क्षेत्र में शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु होती है। यहाँ वर्षा का औसत 500 से 800 मिमी के बीच होता है।
- जैव विविधता: अरावली पर्वत श्रृंखला में कई वन्यजीवों और वनस्पतियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों और अन्य जानवरों का निवास है।
सामान्य विशेषताएँ
- जलवायु: इन पर्वत श्रृंखलाओं में जलवायु के विभिन्न प्रकार हैं, जो यहाँ के भौगोलिक स्थिति और ऊँचाई के अनुसार बदलते हैं।
- आर्थिक महत्व: ये पर्वत श्रृंखलाएँ खनिज संसाधनों, जल, और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों में खनन, कृषि, और पर्यटन जैसी आर्थिक गतिविधियाँ भी होती हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: ये पर्वत श्रृंखलाएँ भारतीय संस्कृति और इतिहास के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ कई ऐतिहासिक स्थल, मंदिर, और सांस्कृतिक धरोहरें पाई जाती हैं।
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