धारवार प्रणाली (Dharwar System) का निर्माण और विकास एक जटिल भूगर्भीय प्रक्रिया है, जिसमें जलीय वातावरण की कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं। यहां इस प्रणाली के निर्माण में जलीय वातावरण की भूमिका के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है:
1. भूगर्भीय सेटिंग
- जलीय वातावरण का विकास: धारवार प्रणाली की उत्पत्ति प्राचीन समुद्रों और जल निकायों में हुई। यह क्षेत्र लगभग 3.3 से 2.5 बिलियन वर्ष पहले के बीच में विकसित हुआ। प्राचीन महासागरों ने तलछटों को जमा किया, जो बाद में ठोस चट्टानों में परिवर्तित हो गए।
- प्लेट विवर्तनिकी: धरती के प्लेटों के हलचल से समुद्री तल के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्लेटों के टकराने से पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ और जलीय वातावरण में परिवर्तन आया।
2. संचय और निक्षेपण
- तलछटी चट्टानें: धारवार प्रणाली में विभिन्न प्रकार की तलछटी चट्टानें शामिल हैं, जैसे कि शेल, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर। ये चट्टानें प्राचीन समुद्रों में जल, लहरों और अन्य प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से जमा हुई थीं।
- जल निकायों से अवसाद: जल के प्रवाह के साथ छोटे कण, मिट्टी और खनिज समुद्र के तल में जमा होते हैं। ये अवसाद समय के साथ चट्टानों में परिवर्तित होते हैं, जिससे धारवार प्रणाली का निर्माण होता है।
3. उपद्रव और अपक्षय
- रासायनिक अपक्षय: जल की उपस्थिति में रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, जो चट्टानों को तोड़ने और नए खनिजों का निर्माण करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, जल में घुलनशील गैसें जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड चूना पत्थर के अपक्षय में मदद करती हैं।
- भौतिक अपक्षय: जल की गति और दबाव से भी चट्टानों का विघटन होता है। बर्फ के पिघलने और गर्मियों के दौरान जल के प्रवाह में बदलाव से भी चट्टानों में दरारें आती हैं।
4. जीवाश्म निर्माण
- जीवाश्म के अवशेष: प्राचीन जलीय जीवों के अवशेष (जैसे शेल, कोरल, आदि) जल निकायों में जमा होते हैं। जब ये जीव मर जाते हैं, तो उनके अवशेष तलछटों में शामिल हो जाते हैं, जो बाद में जीवाश्म चट्टानों का निर्माण करते हैं।
- पैलियोज़ोइक और मेसोजोइक युग: धारवार प्रणाली के निर्माण में विभिन्न युगों के दौरान जलीय जीवों का योगदान महत्वपूर्ण रहा। इन जीवों के अवशेष वर्तमान भूगर्भीय संरचना में समाहित हैं।
5. जलवायु प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन: प्राचीन जलवायु स्थितियों का धारवार प्रणाली के निर्माण में प्रभाव पड़ा। जलवायु में बदलाव से जल स्तर में परिवर्तन हुआ, जिससे समुद्रों की सीमाएँ बदल गईं और विभिन्न प्रकार की तलछटों का निर्माण हुआ।
- जलवायु-जनित गतिविधियाँ: बारिश, बर्फबारी और वाष्पीकरण जैसे जलवायु कारक जल निकायों की रासायनिक संरचना और तलछटों के संचय को प्रभावित करते हैं।
6. जीवविज्ञान और पारिस्थितिकी
- पारिस्थितिकी तंत्र का विकास: जलीय वातावरण ने धारवार प्रणाली के पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जल निकायों में पाई जाने वाली जैव विविधता ने मिट्टी के गुणधर्मों को भी प्रभावित किया।
- पौधों और जीवों का विकास: प्राचीन समुद्री जीवों और पौधों ने जलवायु के अनुसार विभिन्न प्रकार की शारीरिक और रासायनिक संरचनाएं विकसित कीं, जो बाद में धारवार प्रणाली की भूगर्भीय संरचना में योगदान करती हैं।
Leave a Reply