प्रायद्वीपीय क्षेत्र की पूर्वोत्तर दिशा की नदियाँ मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं और इनमें से अधिकांश नदियाँ मानसूनी वर्षा पर निर्भर होती हैं।
यहाँ प्रमुख पूर्वोत्तर दिशा में बहने वाली नदियों का विवरण दिया गया है:
1. सुवर्णरेखा नदी
- उद्गम स्थल: छोटा नागपुर पठार, झारखंड
- लंबाई: लगभग 474 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: झारखंड, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा
- विशेषता: यह नदी झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र से होकर गुजरती है और ओडिशा में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- मुख्य सहायक नदियाँ: कांची, करकरी, और गुरमा
2. ब्राह्मणी नदी
- उद्गम स्थल: छोटा नागपुर पठार, झारखंड
- लंबाई: लगभग 480 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: झारखंड और ओडिशा
- विशेषता: यह नदी बैतरनी नदी के साथ मिलकर पूर्वी ओडिशा में एक विस्तृत डेल्टा का निर्माण करती है।
- मुख्य सहायक नदियाँ: संक, कोयल, और बैतरनी
3. बैतरनी नदी
- उद्गम स्थल: क्योंझर ज़िले के गुप्तगंगा पहाड़ियों में गोनासिका से, ओडिशा
- लंबाई: लगभग 360 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: ओडिशा
- विशेषता: यह नदी भी ब्राह्मणी नदी के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है, और इसका विशेष महत्व ओडिशा के तटीय क्षेत्रों के लिए है।
4. महानदी
- उद्गम स्थल: सिहावा पहाड़ियाँ, छत्तीसगढ़
- लंबाई: लगभग 858 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र
- विशेषता:महानदी नदी ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी नदी है और प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी है, गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद। महानदी पूर्व की ओर बहते हुए ओडिशा के तटीय क्षेत्र में पहुँचती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी पर हीराकुंड बाँध बना है, जो भारत का सबसे लंबा बाँध है।
- मुख्य सहायक नदियाँ:बाईं सहायक नदियाँ:शिवनाथ नदी,हसदेव नदी,मांड नदी,ईब नदी|दाईं सहायक नदियाँ:ओंग नदी,तेल नदी,जोंक नदी
5. दामोदर नदी
- उद्गम स्थल: छोटा नागपुर पठार, झारखंड
- लंबाई: लगभग 592 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: झारखंड और पश्चिम बंगाल
- विशेषता: इसे ‘बंगाल का शोक’ भी कहा जाता था क्योंकि यह अपने बहाव क्षेत्र में बाढ़ लाती थी, लेकिन अब इस पर कई बाँध बनाए गए हैं। यह हुगली नदी में मिलती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में पहुँचती है।
- मुख्य सहायक नदियाँ: बराकर, कोनार, और दुधिया
6. कावेरी नदी
- उद्गम स्थल: तालाकावेरी,कर्नाटका
- लंबाई: लगभग 805 किलोमीटर
- प्रवाह क्षेत्र: कर्नाटका, तमिलनाडु
- विशेषता: कावेरी दक्षिण भारत में गोदावरी और कृष्णा के बाद तीसरी सबसे लंबी नदी और तमिलनाडु की सबसे लंबी नदी है, जो देश को उत्तर और दक्षिण में विभाजित करती है। प्राचीन तमिल साहित्य में कावेरी नदी को “पोन्नी” के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है “स्वर्ण नदी”, क्योंकि इसकी जलधारा अत्यंत उपजाऊ और समृद्धि देने वाली मानी जाती है।
- मुख्य सहायक नदियाँ:भवानी, हेमावती, काबिनी, नॉयल।
7. हुगली नदी
- उद्गम स्थल:दामोदर और भागीरथी नदी का संगम
- लंबाई: लगभग 260 किमी
- प्रवाह क्षेत्र: पश्चिम बंगाल
- विशेषता: यह नदी कोलकाता के पास से बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका विशेष महत्व है क्योंकि यह कोलकाता और आसपास के क्षेत्र के लिए जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।
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