हिमालयी अपवाह तंत्र (Himalayan Drainage System) भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों में से एक है, जो हिमालय पर्वतमाला से निकलने वाली नदियों के जल निकासी (ड्रेनेज) को संदर्भित करता है। इस तंत्र की नदियाँ हिमालय की ऊँची बर्फीली चोटियों से निकलती हैं और भारत के विशाल मैदानों में बहती हुई बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में गिरती हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- मुख्य नदियाँ: हिमालयी अपवाह तंत्र में प्रमुख नदियाँ गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु हैं। ये तीनों नदियाँ भारतीय उपमहाद्वीप के जल संसाधनों का बड़ा हिस्सा बनाती हैं।
- ग्लेशियर स्रोत: इस तंत्र की अधिकांश नदियाँ हिमालय के ग्लेशियरों से निकलती हैं, जैसे गंगा का गंगोत्री ग्लेशियर और यमुना का यमुनोत्री ग्लेशियर। यह नदियाँ बर्फ के पिघलने से निरंतर प्रवाहित होती रहती हैं।
- लंबी दूरी: हिमालयी नदियाँ अपनी लंबी यात्रा के कारण कई राज्यों और देशों को पार करती हैं। उदाहरण के लिए, सिंधु नदी तिब्बत, भारत और पाकिस्तान से होकर बहती है।
- जल की मात्रा: हिमालयी नदियों में वर्ष भर जल का अच्छा प्रवाह बना रहता है, विशेषकर मानसून और बर्फ पिघलने के समय, जिससे कृषि, पेयजल, और अन्य उपयोगों के लिए पर्याप्त जल प्राप्त होता है।
- बाढ़ का खतरा: मानसून के दौरान भारी वर्षा के कारण इन नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे हिमालयी क्षेत्र और इसके आसपास के मैदानों में बाढ़ का खतरा बना रहता है।
- नदी की तलछट: हिमालयी नदियाँ अपने मार्ग में बहुत अधिक तलछट (सिल्ट) लेकर बहती हैं, जो मैदानों में उपजाऊ मिट्टी का निर्माण करती है। इससे गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदान विश्व के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक बनते हैं।
प्रमुख नदियाँ और उनकी विशेषताएँ:
- गंगा नदी प्रणाली: यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी प्रणाली है। गंगा नदी गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और भारत के मैदानों में कई सहायक नदियों जैसे यमुना, घाघरा, कोसी, गंडक से मिलती है।
- सिंधु नदी प्रणाली: यह नदी तिब्बत से निकलती है और जम्मू-कश्मीर, पंजाब होते हुए पाकिस्तान में बहती है। इसके प्रमुख सहायक नदियाँ झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज हैं।
- ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली: यह नदी तिब्बत में ‘यारलुंग सांगपो’ नाम से जानी जाती है। अरुणाचल प्रदेश में यह ‘सियांग’ के रूप में भारत में प्रवेश करती है और असम के मैदानों से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
हिमालयी अपवाह तंत्र का महत्व:
- कृषि: हिमालयी नदियाँ उत्तरी भारत के मैदानों में उपजाऊ मिट्टी का निर्माण करती हैं, जिससे यह क्षेत्र कृषि के लिए अत्यधिक उपयुक्त बनता है।
- जल विद्युत: हिमालयी नदियों में पानी का निरंतर प्रवाह होता है, जिससे जल विद्युत उत्पादन के लिए कई बाँध और परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं।
- पेयजल और सिंचाई: यह नदियाँ भारत और पड़ोसी देशों में पेयजल और सिंचाई का मुख्य स्रोत हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र: हिमालयी नदियाँ एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती हैं, जो अनेक वन्य जीवों और जलचरों का घर है।
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