प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) और ज्वालामुखी निर्माण के बीच गहरा संबंध है। प्लेट विवर्तनिकी एक सिद्धांत है जो पृथ्वी की बाहरी परत, जिसे लिथोस्फीयर कहा जाता है, के विभिन्न प्लेटों के आंदोलन और उनके आपसी क्रियाकलापों का अध्ययन करता है। इन प्लेटों की गतिविधियाँ ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रमुख कारण होती हैं। आइए, इस संबंध को विस्तार से समझते हैं।
प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत
- पृथ्वी की संरचना:
- पृथ्वी की बाहरी परत विभिन्न टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित होती है। ये प्लेटें सतह पर बहने वाले मैन्टल की प्रवाहकीय गतिविधियों पर तैरती हैं।
- प्लेटों का आंदोलन:
- प्लेटों के बीच विभिन्न प्रकार की सीमाएँ होती हैं, जैसे कि संवहनीय सीमाएँ (Divergent Boundaries), संक्षिप्त सीमाएँ (Convergent Boundaries), और पार्श्व सीमाएँ (Transform Boundaries)।
ज्वालामुखी निर्माण के प्रकार
- संवहनीय सीमाएँ (Divergent Boundaries):
- विवरण: जब दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं, तो मैग्मा सतह के पास आकर नए लावे का निर्माण करता है।
- उदाहरण: अटलांटिक महासागर में मिड-अटलांटिक रिज पर होने वाले ज्वालामुखी।
- संक्षिप्त सीमाएँ (Convergent Boundaries):
- विवरण: जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंस जाती है (सबडक्शन), तो वहाँ उच्च दबाव और तापमान उत्पन्न होता है, जिससे मैग्मा का निर्माण होता है।
- उदाहरण: पैसिफिक प्लेट और उत्तर अमेरिकी प्लेट के बीच का क्षेत्र, जहाँ माउंट सेंट हेलेंस और माउंट रेनियर जैसे ज्वालामुखी बने हैं।
- पार्श्व सीमाएँ (Transform Boundaries):
- विवरण: जब प्लेटें एक-दूसरे के सापेक्ष स्केट करती हैं, तो ये अक्सर भूकंप पैदा करती हैं। ये सीमाएँ ज्वालामुखी निर्माण का प्राथमिक कारण नहीं हैं, लेकिन ज्वालामुखीय गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं।
- उदाहरण: सैन एंड्रियास फॉल्ट, कैलिफोर्निया।
ज्वालामुखीय गतिविधियों के परिणाम
- प्लेट विवर्तनिकी के कारण ज्वालामुखीय गतिविधियाँ पर्यावरणीय परिवर्तन, नए भौगोलिक निर्माण, और स्थानीय पारिस्थितिकी पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न होने वाले लावा, राख और गैसें मौसम, जलवायु और जीवों के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
Leave a Reply