धारवार प्रणाली का क्षेत्रीय भूगोल और पारिस्थितिकी भारत के दक्षिणी और मध्य हिस्सों में स्थित है और यह भारत की सबसे पुरानी चट्टानों में से एक मानी जाती है। इसका अध्ययन विभिन्न भूगोलिक, पारिस्थितिकीय, और मानव-संबंधित पहलुओं को समझने में सहायक है। यहाँ धारवार प्रणाली के क्षेत्रीय भूगोल और पारिस्थितिकी का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है:
1. भूगोलिक विशेषताएँ
- स्थान: धारवार प्रणाली मुख्यतः कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैली हुई है।
- स्थलाकृति: इसमें पहाड़ियाँ, पठार, और घाटियाँ शामिल हैं। धारवाड़ क्षेत्र में चट्टानें अधिकतर क्रेटन और बेसाल्टिक संरचनाओं का हिस्सा होती हैं।
- जल निकाय: धारवार क्षेत्र में कई नदियाँ, जैसे कि तुंगा, भद्रा, और कृष्णा, का प्रवाह होता है। ये नदियाँ जल निकासी और कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
2. जलवायु
- जलवायु प्रकार: धारवार प्रणाली में मुख्यतः उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है, जिसमें गर्म और आर्द्र ग्रीष्म और ठंडी, शुष्क सर्दियाँ होती हैं।
- वर्षा: वार्षिक वर्षा का औसत 700 से 1500 मिमी तक होता है, जो कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान आती है। यह वर्षा कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होती है।
3. पारिस्थितिकी तंत्र
- वनस्पति: धारवार प्रणाली में विविध वनस्पति पाई जाती है, जिसमें उष्णकटिबंधीय नम और शुष्क वन शामिल हैं। यहाँ की वनस्पति में बांस, साल, तेन्दू, और विभिन्न प्रकार के छोटे पेड़ और झाड़ियाँ शामिल हैं।
- वन्यजीव: धारवार क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, हाथी, और विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है।
- संकटग्रस्त प्रजातियाँ: कुछ प्रजातियाँ जैसे कि एशियाई हाथी और बाघ यहाँ संकटग्रस्त स्थिति में हैं। इनकी सुरक्षा के लिए संरक्षण प्रयास चलाए जा रहे हैं।
4. खनिज और संसाधन
- खनिज: धारवार प्रणाली में लौह अयस्क, सोना, चांदी, मैंगनीज, और अन्य खनिजों का समृद्ध भंडार है। कर्नाटक राज्य में विशेषकर धारवाड़ और बेल्लारी क्षेत्रों में खनन गतिविधियाँ होती हैं।
- जल संसाधन: धारवार प्रणाली में जलाशय, नदियाँ और तालाब जल संसाधनों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ये जल कृषि, घरेलू उपयोग, और उद्योग के लिए आवश्यक हैं।
5. मानव गतिविधियाँ
- कृषि: इस क्षेत्र में कृषि महत्वपूर्ण है, जहाँ धान, गन्ना, बाजरा, और अन्य फसलें उगाई जाती हैं। जलवायु और मृदा की गुणवत्ता कृषि उत्पादन में सहायक होती है।
- खनन: खनिज संसाधनों का दोहन स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, अत्यधिक खनन के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
- पर्यटन: धारवार प्रणाली के प्राकृतिक सौंदर्य, वन्यजीव अभयारण्यों और ऐतिहासिक स्थलों के कारण यहाँ पर्यटन का विकास हो रहा है।
6. पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- वनों की कटाई: वनों की कटाई और शहरीकरण के कारण जैव विविधता को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण वर्षा पैटर्न में बदलाव आ रहा है, जो कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव डाल रहा है।
- खनन के प्रभाव: खनन गतिविधियों के कारण भूमि क्षरण, जल प्रदूषण और पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन हो रहा है।
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