धारवार चट्टानें (Dharwar rocks) भारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित प्राचीन भूगर्भीय संरचनाएँ हैं। इन चट्टानों के गुण और उनकी पहचान के तरीके महत्वपूर्ण हैं, खासकर भूगर्भीय अध्ययन, खनन और औद्योगिक उपयोग के संदर्भ में। यहाँ धारवार चट्टानों के गुण और उनकी पहचान के तरीके का विवरण दिया गया है:
धारवार चट्टानों के गुण
- भौतिक गुण:
- कठोरता: धारवार चट्टानें आमतौर पर कठोर और मजबूत होती हैं। इनकी कठोरता उन्हें दीर्घकालिक स्थायित्व प्रदान करती है।
- दानेदारता: इन चट्टानों में दानेदार बनावट होती है, जिसमें क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, और अन्य खनिज होते हैं।
- वजन: धारवार चट्टानों का वजन अपेक्षाकृत अधिक होता है, जो उनकी घनत्व को दर्शाता है।
- रंग: इनका रंग आमतौर पर हल्का ग्रे, गुलाबी, या हरा होता है, जो खनिजों की प्रकार और अनुपात पर निर्भर करता है।
- रासायनिक गुण:
- सिलिका की उपस्थिति: धारवार चट्टानों में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO₂) की उच्च मात्रा होती है, जो इनकी मजबूत संरचना में योगदान करती है।
- खनिज संघटन: इनमें मुख्य रूप से फेल्डस्पार, क्वार्ट्ज, और मिका के खनिज होते हैं।
- धातु ऑक्साइड: आयरन ऑक्साइड (Fe₂O₃) और एल्यूमिनियम ऑक्साइड (Al₂O₃) जैसे अन्य रसायनों की उपस्थिति भी इनकी विशेषताओं को प्रभावित करती है।
- संरचनात्मक गुण:
- फोलिएटेड और नॉन-फोलिएटेड: धारवार चट्टानों में फोलिएटेड (परतदार) और नॉन-फोलिएटेड (गैर-परतदार) दोनों प्रकार की संरचनाएँ पाई जाती हैं। यह संरचना खनिजों की व्यवस्था पर निर्भर करती है।
- अन्य विशेषताएँ: इनमें क्रीविस, क्रैक और अन्य संरचनात्मक विशेषताएँ भी पाई जा सकती हैं, जो उनकी भूगर्भीय प्रक्रियाओं को दर्शाती हैं।
धारवार चट्टानों की पहचान के तरीके
- भौतिक परीक्षण:
- दृश्य निरीक्षण: चट्टानों के रंग, बनावट, और आकार का अवलोकन करके उनकी पहचान की जा सकती है। दानेदारता और रचना भी महत्वपूर्ण संकेत देती है।
- कठोरता परीक्षण: कठोरता का परीक्षण मोह्स स्केल के माध्यम से किया जा सकता है, जो चट्टानों की कठोरता का माप देता है।
- रासायनिक परीक्षण:
- सिलिका परीक्षण: चट्टानों में सिलिका की मात्रा को पहचानने के लिए रासायनिक परीक्षण किए जा सकते हैं। यह खनिजों की संरचना और गुणों को समझने में मदद करता है।
- pH परीक्षण: चट्टानों की क्षारीयता और अम्लीयता को मापने के लिए pH परीक्षण किया जा सकता है, जो उनके रासायनिक गुणों को दर्शाता है।
- माइक्रोस्कोपिक अध्ययन:
- पेट्रोलोगिकल स्लाइड: पतली स्लाइड बनाकर चट्टानों के खनिजों और बनावट का सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययन किया जा सकता है। इससे खनिजों की पहचान और संरचना का पता चलता है।
- जियोलॉजिकल मानचित्रण:
- भूगर्भीय मानचित्रण: क्षेत्र के भूगर्भीय मानचित्रों का उपयोग कर चट्टानों की पहचान की जा सकती है। विभिन्न धारवार बेल्ट की उपस्थिति और वितरण से चट्टानों के प्रकार का अनुमान लगाया जा सकता है।
- रासायनिक विश्लेषण:
- X-ray फ्लोरेसेंस (XRF): इस तकनीक का उपयोग चट्टानों में विभिन्न खनिजों और तत्वों की पहचान के लिए किया जा सकता है। यह रासायनिक संघटन का सटीक माप देता है।
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