कडप्पा प्रणाली (Kadappa System) भारत के भूगर्भीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और यह भूवैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र रही है। इसके अध्ययन से न केवल भारतीय भूविज्ञान का विकास हुआ है, बल्कि पृथ्वी के प्रारंभिक भूवैज्ञानिक इतिहास की भी बेहतर समझ मिली है। कडप्पा प्रणाली प्रीकैम्ब्रियन युग की चट्टानों से बनी है और इसमें समृद्ध खनिज संसाधन भी पाए जाते हैं, जिसके कारण इसे विशेष भूगर्भीय महत्व प्राप्त है। यहाँ पर कडप्पा प्रणाली में किए गए प्रमुख भूगर्भीय अध्ययन और अनुसंधान के बारे में चर्चा की जा रही है:
1. अवसादी संरचना और चट्टानों का अध्ययन:
- कडप्पा प्रणाली में मुख्य रूप से शेल, सैंडस्टोन, चूना-पत्थर, और डोलोमाइट जैसी अवसादी चट्टानें पाई जाती हैं। इन चट्टानों का अध्ययन भूवैज्ञानिकों द्वारा किया गया है, जिससे यह पता चला है कि यह चट्टानें समुद्री और नदीय अवसादों के जमाव से बनी हैं।
- चट्टानों की उम्र का निर्धारण: भूवैज्ञानिक अनुसंधानों ने बताया कि कडप्पा प्रणाली की चट्टानें 1.6 से 2.5 अरब वर्ष पुरानी हैं, जो प्रीकैम्ब्रियन युग के दौरान अवसादित हुई थीं। इन चट्टानों की उम्र का पता लगाने के लिए रेडियोमेट्रिक डेटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
- स्तरित चट्टानों का अध्ययन: कडप्पा प्रणाली में पाई जाने वाली अवसादी चट्टानों की परतों के अध्ययन से यह पता चलता है कि इस क्षेत्र में प्राचीन समुद्रों के किनारे अवसादन हुआ था, जो समय के साथ भूगर्भीय गतिविधियों के कारण उठ कर वर्तमान स्थिति में आया।
2. टेक्टोनिक इतिहास और भूगर्भीय संरचना:
- कडप्पा प्रणाली के अध्ययन में भूवैज्ञानिकों ने इसके टेक्टोनिक इतिहास को समझने के लिए विस्तृत शोध किया है। यह प्रणाली धारवाड़ क्रेटोन के ऊपर स्थित है, और इसका गठन महाद्वीपीय प्लेटों की टेक्टोनिक गतिविधियों से प्रभावित हुआ है।
- महाद्वीपीय प्लेटों का टकराव और रिफ्टिंग: कडप्पा प्रणाली के अध्ययन से यह पता चला है कि इस क्षेत्र में प्लेटों के टकराव और रिफ्टिंग की घटनाएँ हुई थीं। इन घटनाओं ने अवसादी चट्टानों के गठन और बाद में उनके मेटामॉर्फिज़्म (रूपांतरण) को प्रभावित किया।
- गुणांक (Faults) और भ्रंशों (Folds) का अध्ययन: कडप्पा प्रणाली में पाई जाने वाली भूगर्भीय संरचनाओं, जैसे भ्रंश और गुणांक, का अध्ययन किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि यहाँ पर महाद्वीपीय टेक्टोनिक गतिविधियाँ काफी सक्रिय रही हैं।
3. खनिज संसाधनों का अध्ययन:
- कडप्पा प्रणाली में पाई जाने वाली चट्टानों में कई महत्वपूर्ण खनिज संसाधन पाए जाते हैं। भूगर्भीय अध्ययन और अनुसंधान में कडप्पा प्रणाली के खनिज भंडारों की पहचान और उनके आर्थिक महत्व का पता लगाया गया है।
- यूरेनियम, लोहा, और डोलोमाइट: कडप्पा प्रणाली के अध्ययन से यहाँ यूरेनियम, लोहा, डोलोमाइट, और चूना-पत्थर जैसे खनिजों की खोज की गई। तुंबलापल्ले क्षेत्र में यूरेनियम के भंडार का अध्ययन भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण है।
- खनिज भंडारों का आर्थिक अध्ययन: भूगर्भीय शोधकर्ताओं ने इन खनिज भंडारों की आर्थिक क्षमता का भी अध्ययन किया है, जिससे यह क्षेत्र खनन और औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र बना है।
4. पैलियो पर्यावरणीय अध्ययन:
- कडप्पा प्रणाली की चट्टानों का अध्ययन भूगर्भीय इतिहास के पैलियो पर्यावरणीय (प्राचीन पर्यावरण) दृष्टिकोण से भी किया गया है। इन चट्टानों में मिलने वाले जीवाश्म और अवसादी संरचनाओं से यह पता चलता है कि इस क्षेत्र में लाखों साल पहले समुद्र और नदियाँ बहती थीं।
- फॉसिल (जीवाश्म) अध्ययन: कडप्पा प्रणाली के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के जीवाश्म पाए गए हैं, जो इस क्षेत्र के प्राचीन जलवायु और पर्यावरण के बारे में जानकारी देते हैं। यह अध्ययन हमें पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन और भूवैज्ञानिक समय में पर्यावरणीय बदलावों को समझने में मदद करता है।
5. प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम संसाधनों का अध्ययन:
- कडप्पा प्रणाली का अध्ययन कृष्णा-गोदावरी बेसिन के साथ भी जुड़ा हुआ है, जो प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के लिए महत्वपूर्ण है। भूवैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों की खोज और उनका मूल्यांकन किया है।
- पेट्रोलियम अध्ययन: कृष्णा-गोदावरी बेसिन, जो कडप्पा प्रणाली के नजदीक स्थित है, में तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार पाए गए हैं। भूगर्भीय अनुसंधान ने इस क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों के संभावनाओं का गहन अध्ययन किया है, जिससे यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
6. ज्वालामुखीय गतिविधियों का अध्ययन:
- कडप्पा प्रणाली में भूवैज्ञानिकों ने ज्वालामुखीय गतिविधियों के साक्ष्य भी पाए हैं। यह क्षेत्र प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधियों से प्रभावित हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ की चट्टानों में ज्वालामुखीय अवशेष मिलते हैं।
- बैसाल्टिक चट्टानों का अध्ययन: कडप्पा प्रणाली के विभिन्न हिस्सों में बैसाल्टिक चट्टानों का अध्ययन किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में ज्वालामुखीय गतिविधियाँ सक्रिय थीं।
Leave a Reply