मैंग्रोव्स (Mangroves)
मैंग्रोव्स विशेष प्रकार के वनस्पति और पारिस्थितिकीय तंत्र हैं, जो खारे पानी के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह पौधे मुख्यतः नदी के डेल्टा, मुहाने, और समुद्री तटों पर उगते हैं जहाँ खारा पानी, मिट्टी और हवा का मिश्रण होता है। मैंग्रोव वनस्पतियाँ कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम होती हैं, जैसे कि खारा पानी, कीचड़, कम ऑक्सीजन, और उच्च तापमान।
मैंग्रोव्स की विशेषताएँ
- श्वास जड़ें (Pneumatophores):
- मैंग्रोव के पौधों में विशेष प्रकार की जड़ें होती हैं, जिन्हें श्वास जड़ें कहा जाता है। ये जड़ें मिट्टी के बाहर निकलती हैं और वातावरण से ऑक्सीजन अवशोषित करती हैं। ये जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में पौधों को जीवित रहने में मदद करती हैं।
- नमक को सहन करने की क्षमता (Salt Tolerance):
- मैंग्रोव पौधे नमक सहनशील होते हैं। वे अपनी जड़ों, पत्तियों और तनों के माध्यम से अतिरिक्त नमक को बाहर निकाल सकते हैं या इसे सहन करने की क्षमता रखते हैं।
- बीज का विशेष विकास (Viviparous Germination):
- मैंग्रोव पौधों के बीज विशेष प्रकार से विकसित होते हैं। बीज अंकुरण के बाद तने के साथ लगे रहते हैं और तैरने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। यह बीज बाद में जलधारा द्वारा अन्य तटीय क्षेत्रों में पहुँच जाते हैं।
- प्राकृतिक रक्षा कवच (Natural Barrier):
- मैंग्रोव जंगल समुद्री तूफान, ज्वार-भाटा, और तटीय क्षरण से तटों की रक्षा करते हैं। ये जंगल समुद्री लहरों की ऊर्जा को कम करते हैं और मिट्टी को स्थिर बनाए रखते हैं।
मैंग्रोव्स के लाभ
- तटीय क्षरण से रक्षा:
- मैंग्रोव वन तटों को क्षरण और प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में सहायक होते हैं। इनके जड़ें मिट्टी को स्थिर बनाए रखती हैं, जिससे तटीय क्षरण की समस्या कम होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं में सुरक्षा:
- मैंग्रोव वन बाढ़, चक्रवात, और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय तटों की रक्षा करते हैं। इनकी जड़ें समुद्री लहरों की गति को कम करती हैं, जिससे नुकसान का स्तर घटता है।
- जैव विविधता का संरक्षण:
- मैंग्रोव्स विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं के लिए आवास प्रदान करते हैं। ये झींगा, मछली, केकड़े, पक्षी, और अन्य समुद्री जीवों के लिए पोषण और आवास का महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।
- कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration):
- मैंग्रोव वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सहायक होते हैं और ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं। इनकी जड़ें और मिट्टी कार्बन का भंडारण करती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलती है।
- स्थानीय समुदायों की आजीविका:
- मैंग्रोव्स स्थानीय समुदायों को मछली पालन, शहद उत्पादन, और औषधीय पौधों के स्रोत के रूप में आजीविका प्रदान करते हैं।
भारत में मैंग्रोव्स के प्रमुख क्षेत्र
भारत में मैंग्रोव वन मुख्यतः पूर्वी तटीय क्षेत्रों, पश्चिमी तटीय क्षेत्रों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। प्रमुख मैंग्रोव क्षेत्रों में शामिल हैं:
- सुंदरबन (पश्चिम बंगाल):
- सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है और यह भारत और बांग्लादेश के बीच फैला हुआ है। यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर, मछली, केकड़े, और विभिन्न समुद्री प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- महालेश्वर मैंग्रोव्स (महाराष्ट्र):
- महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र में कई मैंग्रोव वन मिलते हैं, जो तटीय क्षरण और तूफान से तटों की रक्षा करते हैं।
- गुजरात तट:
- गुजरात में खम्भात की खाड़ी और कच्छ के तटों पर मैंग्रोव्स मिलते हैं। यहाँ के मैंग्रोव्स भी पर्यावरणीय संरक्षण में सहायक होते हैं और स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह:
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कई मैंग्रोव वन मिलते हैं, जो जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं।
- गोदावरी और कृष्णा डेल्टा (आंध्र प्रदेश):
- आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भी मैंग्रोव्स पाए जाते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मैंग्रोव्स के संरक्षण की चुनौतियाँ
- मानव अतिक्रमण:
- तटीय क्षेत्रों में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण मैंग्रोव्स के क्षेत्र घटते जा रहे हैं। आवास और खेती के लिए इन जंगलों का अतिक्रमण किया जा रहा है।
- प्रदूषण:
- तटीय क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण, जैसे कि प्लास्टिक, औद्योगिक कचरा और रासायनिक अवशेष, मैंग्रोव्स के लिए हानिकारक हैं। प्रदूषण के कारण मैंग्रोव पौधों की प्राकृतिक वृद्धि प्रभावित होती है।
- अवैध मछली पालन:
- मैंग्रोव क्षेत्रों में अवैध मछली पालन से भी पर्यावरण को क्षति पहुँचती है। मछली पालन के लिए तालाब बनाए जाते हैं, जिससे मैंग्रोव वन क्षेत्र घटते हैं।
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे मैंग्रोव्स का अस्तित्व खतरे में है।
मैंग्रोव्स का संरक्षण
भारत सरकार और विभिन्न पर्यावरणीय संगठनों द्वारा मैंग्रोव्स के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इनके संरक्षण के लिए कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
- मैंग्रोव वन संरक्षण अधिनियम:
- मैंग्रोव्स को संरक्षित करने के लिए सरकार ने विशेष अधिनियम बनाए हैं, जो मैंग्रोव वनों को कटने और प्रदूषण से बचाने में सहायक हैं।
- सामुदायिक सहभागिता:
- स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव्स के संरक्षण में शामिल किया जा रहा है। इसके अंतर्गत उन्हें मैंग्रोव्स के महत्व और संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाता है।
- पुनःवनीकरण कार्यक्रम:
- जिन क्षेत्रों में मैंग्रोव्स का विनाश हो चुका है, वहाँ पुनःवनीकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि उन क्षेत्रों में दोबारा मैंग्रोव्स उगाए जा सकें।
- पर्यावरणीय पर्यटन:
- मैंग्रोव क्षेत्रों में पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे लोगों में इनकी महत्वता के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
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