प्रायद्वीपीय भारत के पारिस्थितिकी तंत्र और जैविक संपदा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इसे अनूठा बनाता है। यहाँ का क्षेत्रीय जैवविविधता और प्राकृतिक संरचनाएं भारत की समृद्ध पारिस्थितिक धरोहर का परिचायक हैं।
आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर संक्षिप्त चर्चा करते हैं:
1. स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार
- पश्चिमी घाट: इसे जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है और यह एक प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र है। यहाँ कई स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे कि दुर्लभ पक्षी, औषधीय पौधे और सरीसृप। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के जंगलों का घर है, जिनमें सदाबहार, आर्द्र और शुष्क पर्णपाती जंगल शामिल हैं।
- पूर्वी घाट: यहाँ कम ऊँचाई वाले जंगल और शुष्क पर्णपाती वन प्रमुख हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
- दक्कन का पठार: इस क्षेत्र में शुष्क और अर्ध-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र प्रमुख है। यहाँ की कृषि भूमि में पाए जाने वाले पौधों की प्रजातियाँ स्थानीय कृषि और जैविक विविधता को प्रोत्साहित करती हैं।
2. प्राकृतिक संरचनाओं की विशेषताएँ और जैविक संपदा
- नर्मदा और तापी घाटियाँ: ये घाटियाँ अद्वितीय हैं और नदी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ जैविक विविधता के स्रोत हैं। इन क्षेत्रों में मछलियों और वनस्पतियों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो यहाँ के जलवायु में अनुकूलित हैं।
- पश्चिमी घाट का समृद्ध वन्यजीव: यहाँ बाघ, हाथी, भारतीय गौर, और अन्य स्थानिक स्तनधारी जीव पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में औषधीय और जड़ी-बूटियों की भी समृद्ध विविधता है, जो कई वैज्ञानिक और औषधीय अनुसंधानों का केंद्र रही हैं।
3. पारिस्थितिकी तंत्र पर मानव प्रभाव और चुनौतियाँ
- औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार से यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ा है। कई स्थानिक प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण भी जैवविविधता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में जैविक संपदा का संरक्षण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
4. संरक्षण प्रयास
- UNESCO विश्व धरोहर स्थल: पश्चिमी घाट का एक बड़ा हिस्सा यूनेस्को द्वारा संरक्षित है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में विभिन्न बायोस्फीयर रिजर्व, जैसे कि नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व, जैवविविधता को संरक्षित करने में सहायक हैं।
- राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य: विभिन्न उद्यान, जैसे साइलेंट वैली, पेरियार नेशनल पार्क, जैविक संपदा को बचाने के लिए स्थापित किए गए हैं।
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