मरुस्थलीय क्षेत्रों में भूआकृतियां और चट्टानों का निर्माण विशेष जलवायु और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण होता है। भारतीय मरुस्थल में, जैसे थार रेगिस्तान, भूआकृतियां और चट्टानें विविध प्रकार की होती हैं, जो अलग-अलग भौगोलिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण उत्पन्न होती हैं।
नीचे मरुस्थलीय भूआकृतियां और चट्टानों के प्रकार का विवरण दिया गया है:
1. रेत के टीले (Sand Dunes)
- बालू के टीले मरुस्थल में पाई जाने वाली सबसे सामान्य भूआकृति हैं। ये हवा द्वारा लाए गए बालू के जमाव से बनते हैं।
- प्रकार:
- बरकान: अर्धचंद्राकार टीले, जो हवा की दिशा में बनते हैं।
- लिनियर या रीढ़ीले टीले: लंबवत रेखाओं में फैले हुए टीले।
- तारामीढ़ी टीले (Star Dunes): इनका आकार तारे जैसा होता है और यह हवा की विभिन्न दिशाओं से बनते हैं।
- खड्डी या छोटी गहराई वाले टीले: ये छोटे-छोटे टीले होते हैं जो मुख्यत: मरुस्थल के आंतरिक क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
2. चट्टानें (Rocks)
- प्रकार:
- ग्रेनाइट चट्टानें: ये चट्टानें विशेष रूप से थार मरुस्थल में पाई जाती हैं। इनका निर्माण उच्च तापमान और दबाव में होता है।
- बेसाल्ट और शेल: यह चट्टानें भारत के कई मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां ज्वालामुखीय गतिविधियां रही हों।
- चूना पत्थर: यह चट्टानें अक्सर मरुस्थलीय क्षेत्रों में मिलती हैं और इनमें जल धारण करने की क्षमता होती है।
- रेत का पत्थर (Sandstone): रेत के जमाव से बनी यह चट्टानें मरुस्थल में बहुतायत में मिलती हैं और विभिन्न रंगों में पाई जाती हैं।
3. मेसा और ब्यूट (Mesa and Butte)
- मेसा: ये चौड़े और सपाट पठार होते हैं, जो धीरे-धीरे कटाव से बनते हैं। मेसा की ऊंचाई काफी होती है और इनका शीर्ष सपाट होता है।
- ब्यूट: ब्यूट भी मेसा जैसा होता है, लेकिन इसका आकार छोटा होता है। यह ऊर्ध्वाधर चट्टानों के रूप में बनता है।
4. पेडिमेंट्स (Pediments)
- पेडिमेंट्स वे चपटे क्षेत्र हैं जो पहाड़ों की तलहटी में बनते हैं। इनका निर्माण कटाव से होता है और इन पर पत्थरों की एक पतली परत होती है।
5. पवन कटाव द्वारा बने भू-आकृतियां (Aeolian Landforms)
- यार्डांग: हवा के कटाव के कारण बनी लंबी और उभरी हुई चट्टानें होती हैं। ये हवा की दिशा में समानांतर फैली होती हैं।
- वेंटिफैक्ट: यह चट्टानें हवा की शक्ति के कारण चिकनी और पॉलिश होती हैं। इनका आकार त्रिकोणीय या चौकोर हो सकता है।
6. नमक के मैदान (Salt Flats या Playa)
- मरुस्थल में कुछ ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां पानी का वाष्पीकरण होने के बाद नमक की परतें जम जाती हैं। इन्हें नमक के मैदान या “प्लाया” कहते हैं। ये मैदान अक्सर सूखे झीलों के तल में पाए जाते हैं।
7. इंसिलबर्ग (Inselberg)
- इंसिलबर्ग एक छोटी और अकेली पहाड़ी होती है जो एक चट्टानी भूभाग के रूप में होती है। यह अत्यधिक कटाव के बाद बची हुई चट्टान होती है और मरुस्थल में अक्सर दिखती है।
8. बजरी और कंकड़ की चट्टानें (Gibber Plains)
- ये सपाट क्षेत्र होते हैं जिन पर कंकड़ और छोटे पत्थर बिखरे होते हैं। इन्हें गिबर मैदान कहते हैं। इनका निर्माण रेत की परत हट जाने के बाद बची हुई बजरी और कंकड़ों से होता है।
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