भारत सरकार द्वीपों की संरचना और प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों और योजनाओं को लागू कर रही है। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता का संरक्षण, और स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में सुधार करना है।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदमों का विवरण दिया गया है:
1. द्वीप विकास नीतियाँ
- राष्ट्रीय द्वीप विकास नीति: यह नीति द्वीपों के विकास और प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। इसके अंतर्गत द्वीपों के संसाधनों का संतुलित और सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
- संपत्ति का संरक्षित उपयोग: द्वीपों की प्राकृतिक संपत्तियों, जैसे जल, वन, और समुद्री संसाधनों, का संरक्षण और सतत उपयोग प्राथमिकता है। इससे पारिस्थितिकी संतुलन बना रहता है।
2. संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन
- संरक्षित क्षेत्र और राष्ट्रीय उद्यान: अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप आदि द्वीप समूहों में राष्ट्रीय उद्यान और समुद्री संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
- वन्यजीव संरक्षण नीतियाँ: संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा के लिए विशेष योजनाएँ बनाई गई हैं, ताकि जैव विविधता को संरक्षित किया जा सके।
3. सतत पर्यटन का विकास
- इको-टूरिज्म: भारत सरकार इको-टूरिज्म को बढ़ावा देती है, जो स्थानीय संसाधनों का संरक्षण करते हुए आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है। इससे पर्यटकों को द्वीपों की जैव विविधता और संस्कृति का अनुभव करने का अवसर मिलता है।
- स्थायी पर्यटन प्रथाएँ: पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालने वाली पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग संभव हो सके।
4. जल संसाधनों का प्रबंधन
- जल संरक्षण योजनाएँ: द्वीपों पर जल संकट को दूर करने के लिए जल संरक्षण और प्रबंधन योजनाएँ बनाई गई हैं। वर्षा जल संचयन और समुद्री जल का मीठा करने जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
- गुणवत्ता नियंत्रण: जल स्रोतों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण के उपाय लागू किए जा रहे हैं।
5. समुद्री संसाधनों का संरक्षण
- मछली पकड़ने के नियम: मछली पकड़ने की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न नियम और कोटा लागू किए जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि समुद्री जीवन का संरक्षण हो सके और मछली पकड़ने का व्यवसाय स्थायी हो।
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए अवैध मछली पकड़ने और प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा रहा है।
6. जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रम
- समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को संरक्षण गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। यह स्थानीय लोगों को उनके पर्यावरण का संरक्षण करने में सक्षम बनाता है।
- शिक्षा कार्यक्रम: पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए विद्यालयों और समुदायों में शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
7. अनुसंधान और विकास
- वैज्ञानिक अनुसंधान: द्वीपों की जैव विविधता और पारिस्थितिकी पर अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे नीतियों के निर्माण में मदद मिलती है।
- डेटा संग्रह: जैव विविधता की स्थिति और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य पर डेटा संग्रहित किया जाता है, ताकि संरक्षण के लिए सही उपाय किए जा सकें।
Leave a Reply