भौगोलिक दृष्टि से उद्योगों का विकास, उनके अवस्थित कारक, और पारिस्थितिकीय पर्यटन का विस्तार इस प्रकार है:
1. उद्योगों का विकास
- स्थान चयन के कारक: किसी भी उद्योग का विकास उसके स्थान पर निर्भर करता है, जो भौगोलिक कारकों से निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए, कच्चे माल, जल स्रोत, ऊर्जा, परिवहन सुविधाएं, और श्रम का उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं।
- भौगोलिक वितरण: अलग-अलग उद्योग भिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित होते हैं। उदाहरण के लिए, लौह अयस्क की उपलब्धता वाले क्षेत्र जैसे झारखंड और ओडिशा में लोहा और इस्पात उद्योग का विकास हुआ है।
2. कपास का वस्त्र उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: कपास का उत्पादन गर्म और शुष्क जलवायु में होता है, इसलिए कपास वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र, गुजरात, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अधिक स्थित है।
- कारक: कपास की खेती वाले क्षेत्रों की निकटता, जल और बिजली की उपलब्धता, और परिवहन सुविधा महत्वपूर्ण कारक हैं।
3. जूट वस्त्र उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: जूट उत्पादन मुख्यतः पश्चिम बंगाल, असम, और बिहार में होता है, इसलिए जूट वस्त्र उद्योग भी इन क्षेत्रों में ही केंद्रित है।
- कारक: जलवायु और मिट्टी, विशेष रूप से गंगा डेल्टा की उपजाऊ मिट्टी, जूट के उत्पादन के लिए अनुकूल होती है।
4. ऊनी वस्त्र उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: उत्तर भारत में ठंडे प्रदेशों में ऊनी वस्त्र उद्योग का विकास हुआ है, जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर।
- कारक: भेड़ पालन, ठंडी जलवायु, और ऊनी वस्त्रों की मांग इन क्षेत्रों में उद्योग को बढ़ावा देती है।
5. रेशम वस्त्र उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: रेशम उत्पादन में भारत अग्रणी है, और कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में मुख्य केंद्र स्थित हैं।
- कारक: रेशम कीट पालन के लिए उपयुक्त जलवायु और कच्चे माल की उपलब्धता मुख्य भौगोलिक कारण हैं।
6. लोहा और इस्पात उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: लोहा और इस्पात उद्योग खनिज संसाधन वाले क्षेत्रों के पास विकसित हुए हैं, जैसे झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़।
- कारक: लौह अयस्क और कोयले की निकटता, पानी की उपलब्धता, और परिवहन सुविधा प्रमुख भौगोलिक कारक हैं।
7. ऑटोमोबाइल उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: ऑटोमोबाइल उद्योग मुख्यतः महाराष्ट्र, तमिलनाडु और हरियाणा में स्थित है।
- कारक: विकसित परिवहन सुविधाएं, बाज़ार की निकटता, कुशल श्रमिक, और उपभोक्ता मांग इस उद्योग के स्थान चयन में सहायक हैं।
8. फार्मास्युटिकल उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: फार्मास्युटिकल उद्योग हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों में केंद्रित है।
- कारक: इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकी सुविधाएं, अनुसंधान और विकास संस्थानों की निकटता, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुविधाएं हैं।
9. उर्वरक उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: उर्वरक उत्पादन गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा में प्रमुखता से स्थित है।
- कारक: इन क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस, रासायनिक संयंत्रों की निकटता, और जल संसाधन उपलब्ध हैं।
10. कागज उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कागज उद्योग केंद्रित है।
- कारक: कागज उद्योग के लिए कच्चा माल जैसे लकड़ी और बांस इन क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जल संसाधन भी आवश्यक हैं, जो इन क्षेत्रों में अच्छी मात्रा में उपलब्ध हैं।
11. कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योग
- भौगोलिक स्थिति: कुटीर उद्योग और कृषि आधारित उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और पश्चिम बंगाल।
- कारक: स्थानीय संसाधनों का उपयोग, पारंपरिक हस्तशिल्प का कौशल, और स्थानीय बाजारों की निकटता इस प्रकार के उद्योगों के विकास में सहायक हैं।
12. अवस्थित कारक
- स्थान चयन के प्रमुख कारक: कच्चा माल, जल संसाधन, ऊर्जा, परिवहन, श्रम, और बाजार की निकटता प्रमुख कारक हैं। इन कारकों के आधार पर उद्योगों का स्थान चयन किया जाता है ताकि लागत में कमी आए और उत्पादन में वृद्धि हो।
13. सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाएँ
- भौगोलिक स्थिति: सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाएँ पूरे देश में समान रूप से स्थापित की जाती हैं, जैसे बिजली संयंत्र, सड़कें, रेलवे, और जल प्रबंधन परियोजनाएँ।
- कारक: प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता, परिवहन सुविधाएं, और स्थानीय जनसंख्या की आवश्यकता इन परियोजनाओं के स्थान निर्धारण में महत्वपूर्ण होती हैं।
14. पारिस्थितिकीय पर्यटन
- भौगोलिक स्थिति: पारिस्थितिकीय पर्यटन भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, और राजस्थान जैसे प्राकृतिक रूप से सुंदर और विविधता से भरे स्थानों पर अधिक विकसित हुआ है।
- कारक: जैव विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य, पर्वतीय और वन क्षेत्रों की उपस्थिति, और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पारिस्थितिकीय पर्यटन को बढ़ावा देती है। पारिस्थितिकीय पर्यटन पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर उत्पन्न करता है।
भौगोलिक दृष्टि से उद्योगों का विकास, अवस्थित कारक, और पारिस्थितिकीय पर्यटन का विस्तार देश की समग्र आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता में सहायक होते हैं।
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