भारतीय मानसून और तिब्बत पठार का जेट स्ट्रीम एक-दूसरे से गहरे तरीके से जुड़े हुए हैं। जेट स्ट्रीम, जो उच्च ऊंचाई पर चलने वाली तेज़ हवाओं की धाराओं को दर्शाता है, भारतीय मानसून के मौसम के पैटर्न और उसके प्रवाह को प्रभावित करता है।
यहाँ इस संबंध को समझने के लिए कुछ मुख्य बिंदु प्रस्तुत किए गए हैं:
1. जेट स्ट्रीम का परिचय
- परिभाषा: जेट स्ट्रीम उच्च ऊंचाई पर चलने वाली तेज़ हवाओं की धाराएँ हैं, जो सामान्यत: 10 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर पाई जाती हैं।
- प्रकार: मुख्यतः दो प्रकार के जेट स्ट्रीम होते हैं: समर जेट स्ट्रीम और विंटर जेट स्ट्रीम।
2. तिब्बत पठार का प्रभाव
- ऊँचाई और तापमान: तिब्बत पठार का क्षेत्र, जो विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, यहाँ का तापमान बहुत कम होता है, जिससे यहाँ से निकलने वाली ठंडी हवाएँ जेट स्ट्रीम को प्रभावित करती हैं।तिब्बत पठार को “पृथ्वी का छत” भी कहा जाता है।
- वायुमंडलीय दबाव: गर्मियों में तिब्बत पठार सूर्य की किरणों को अधिक अवशोषित करता है, जिससे यह गर्म होता है और एक निम्न दबाव क्षेत्र बनाता है।तिब्बत का निम्न वायुमंडलीय दबाव मानसून प्रणाली में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह भारतीय मानसून को उत्तर की ओर खींचने में सहायता करता है।
3. भारतीय मानसून की प्रक्रिया
- दक्षिण-पश्चिम मानसून: तिब्बती पठार गर्मियों के दौरान अत्यधिक गर्म हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत ऊर्ध्वाधर वायु धाराएं उत्पन्न होती हैं और समुद्र तल से लगभग 9 किमी ऊपर पठार पर निम्न दबाव का निर्माण होता है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- मानसून की सक्रियता: मानसून की वर्षा की तीव्रता और अवधि भी जेट स्ट्रीम की स्थिति पर निर्भर करती है। यदि जेट स्ट्रीम तिब्बत पठार के पास होता है, तो यह मानसून की वर्षा को बढ़ा सकता है।
4. जेट स्ट्रीम का मौसम पर प्रभाव
- मौसम परिवर्तन: जेट स्ट्रीम की स्थिति और गति भारतीय मानसून की गतिविधियों को प्रभावित करती है। इसका तिरछा होना या ऊँचाई बदलना मानसून के कमजोर होने या उसके सक्रिय होने का संकेत दे सकता है।
- भविष्यवाणी: वैज्ञानिक जेट स्ट्रीम के पैटर्न का अध्ययन करके मानसून की भविष्यवाणी कर सकते हैं।
5. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन के कारण जेट स्ट्रीम में परिवर्तन आ सकता है, जिससे मानसून के पैटर्न में बदलाव हो सकता है। इससे बाढ़, सूखा, और अन्य मौसमीय आपदाओं का जोखिम बढ़ सकता है।
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