भारतीय मानसून एक प्रमुख मौसम प्रणाली है जो देश की जलवायु और कृषि के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दक्षिण-पश्चिमी हवाओं द्वारा संचालित होता है और वर्षा का मुख्य स्रोत है।
यहाँ भारतीय मानसून के प्रमुख पहलुओं का विवरण दिया गया है:
1. मानसून की परिभाषा
- मानसून एक वार्षिक मौसम चक्र है जिसमें वर्षा की विशेष अवधि होती है। भारत में, मानसून का मतलब सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम मानसून होता है, जो गर्मियों में भारी वर्षा लाता है।
2. मानसून का समय
- भारतीय मानसून आमतौर पर जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है। यह दो प्रमुख भागों में विभाजित होता है:
- दक्षिण-पश्चिम मानसून: जून से सितंबर तक, जो भारत में भारी वर्षा लाता है।
- उत्तर-पूर्व मानसून: अक्टूबर से दिसंबर तक, जो मुख्यतः दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में वर्षा लाता है।
3. मानसून के चरण
- पूर्व-मानसून: यह चरण मार्च से मई तक होता है, जिसमें तापमान बढ़ता है और उच्च वायुमंडलीय दबाव का निर्माण होता है। इस दौरान चक्रवात और ओलावृष्टि भी हो सकते हैं।
- मानसून की शुरुआत: आमतौर पर, मानसून की शुरुआत के पहले कर्नाटक और महाराष्ट्र के तटों पर वर्षा होती है। इसके बाद यह धीरे-धीरे देश के अन्य भागों में फैलता है।
- पूर्ण मानसून: जुलाई और अगस्त में मानसून अपने चरम पर होता है, और इस दौरान अधिकांश भारतीय राज्य वर्षा प्राप्त करते हैं।
4. मानसून की विशेषताएँ
- वर्षा की मात्रा: भारतीय मानसून देश के विभिन्न भागों में वर्षा की मात्रा में भिन्नता लाता है। पश्चिमी घाट और नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है (3000-4000 मिमी), जबकि थार रेगिस्तान जैसे कुछ भागों में वर्षा 250 मिमी से कम होती है।
- तापमान: मानसून के दौरान, गर्मियों के उच्च तापमान में गिरावट आती है, जिससे तापमान सामान्य स्तर पर पहुँच जाता है।
5. मानसून के प्रभाव
- कृषि: मानसून कृषि गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। धान, गेंहू, ज्वार, और अन्य फसलों की खेती मानसून पर निर्भर करती है।
- जल संसाधन: मानसून की वर्षा जल संसाधनों को पुनः भरने में मदद करती है, जो पीने के पानी, कृषि, और उद्योग के लिए आवश्यक है।
- आर्थिक विकास: मानसून का कृषि पर प्रभाव होने के कारण, यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छी मानसून वर्षा आमतौर पर कृषि उत्पादन में वृद्धि और आर्थिक विकास को प्रेरित करती है।
6. मानसून की समस्याएँ
- बाढ़: भारी वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे मानव जीवन, कृषि, और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँच सकता है।
- सूखा: यदि मानसून में कमी आती है, तो सूखा जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो कृषि और जल आपूर्ति को प्रभावित करती हैं।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून पैटर्न में अस्थिरता आ रही है, जिससे वर्षा के अनियमित पैटर्न उत्पन्न हो रहे हैं।
7. मानसून को प्रभावित करने वाले कारक
- हिमालय की भूमिका: यह ठंडी हवाओं को दक्षिण की ओर आने से रोकता है।
- एल नीनो और ला नीना प्रभाव: प्रशांत महासागर की यह घटनाएँ भारतीय मानसून को कमजोर या मजबूत कर सकती हैं।
- भारतीय महासागर डिपोल (IOD): महासागर में तापमान का अंतर भी वर्षा पर प्रभाव डालता है।
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