आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks) परिचय: आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks) वे चट्टानें हैं, जो मैग्मा या लावा के ठंडा होने और जमने से बनती हैं। मैग्मा तब बनता है जब पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से अत्यधिक तापमान और दबाव के कारण पिघलते हैं। जब यह मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे ठंडा होता है, तो इसे अंतर्मुखी (Intrusive) आग्नेय चट्टान कहते हैं, और जब यह सतह पर आता है और ठंडा होता है, तो इसे बहिर्मुखी (Extrusive) आग्नेय चट्टान कहते हैं।
1. आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण:
आग्नेय चट्टानों का मुख्य वर्गीकरण उनके बनने के स्थान और प्रक्रिया के आधार पर किया जाता है:
- अंतर्मुखी आग्नेय चट्टानें (Intrusive Igneous Rocks):
- ये चट्टानें तब बनती हैं जब मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे ठंडा होकर ठोस हो जाता है।
- इन चट्टानों का ठंडा होना धीमा होता है, इसलिए इनके क्रिस्टल बड़े होते हैं।
- उदाहरण: ग्रेनाइट (Granite), गब्रो (Gabbro), डायराइट (Diorite)।
- बहिर्मुखी आग्नेय चट्टानें (Extrusive Igneous Rocks):
- ये चट्टानें तब बनती हैं जब लावा (मैग्मा जो सतह पर आ जाता है) ठंडा होकर ठोस हो जाता है।
- इनके ठंडा होने की प्रक्रिया तेज होती है, इसलिए इन चट्टानों में छोटे क्रिस्टल होते हैं या ये पूरी तरह से बिना क्रिस्टल के होती हैं।
- उदाहरण: बेसाल्ट (Basalt), ऑब्सीडियन (Obsidian), प्यूमिस (Pumice)।
2. आग्नेय चट्टानों की विशेषताएँ:
- बनावट (Texture):
- आग्नेय चट्टानों की बनावट उनके ठंडा होने की गति और क्रिस्टलों के आकार पर निर्भर करती है।
- धीमी गति से ठंडा होने वाली अंतर्मुखी चट्टानों में बड़े क्रिस्टल होते हैं, जबकि तेजी से ठंडा होने वाली बहिर्मुखी चट्टानों में छोटे या बिना क्रिस्टल के बनावट होती है।
- रंग:
- आग्नेय चट्टानों का रंग उनके खनिज संरचना पर निर्भर करता है।
- फेल्सिक चट्टानें हल्के रंग की होती हैं और इनमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है (जैसे ग्रेनाइट)।
- मैफिक चट्टानें गहरे रंग की होती हैं और इनमें मैग्नीशियम और लोहे की मात्रा अधिक होती है (जैसे बेसाल्ट)।
- खनिज संरचना:
- आग्नेय चट्टानें विभिन्न खनिजों से बनी होती हैं, जिनमें क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, ऑलिवाइन, माइका, और पायरोक्सीन प्रमुख हैं।
- फेल्सिक चट्टानों में सिलिका की उच्च मात्रा होती है, जबकि मैफिक चट्टानों में लोहे और मैग्नीशियम की अधिकता होती है।
3. प्रमुख आग्नेय चट्टानों के उदाहरण:
- ग्रेनाइट (Granite):
- यह एक अंतर्मुखी आग्नेय चट्टान है, जिसका उपयोग निर्माण कार्यों में किया जाता है।
- इसका रंग हल्का होता है और इसमें क्वार्ट्ज और फेल्डस्पार की प्रमुखता होती है।
- ग्रेनाइट का उपयोग इमारतों और स्मारकों के निर्माण में होता है।
- बेसाल्ट (Basalt):
- यह एक बहिर्मुखी आग्नेय चट्टान है, जो गहरे रंग की होती है और इसका निर्माण ज्वालामुखीय लावा के ठंडा होने से होता है।
- बेसाल्ट पृथ्वी की क्रस्ट की सबसे सामान्य चट्टानों में से एक है और महासागरों के फर्श का मुख्य घटक है।
- ऑब्सीडियन (Obsidian):
- यह एक कांच जैसी, काली, बहिर्मुखी आग्नेय चट्टान है, जो बहुत तेजी से ठंडा होने वाली लावा से बनती है।
- इसका उपयोग प्राचीन काल में औजारों और हथियारों के निर्माण में किया जाता था।
- प्यूमिस (Pumice):
- यह एक हल्की और छिद्रयुक्त बहिर्मुखी आग्नेय चट्टान है, जो लावा के तेजी से ठंडा होने से बनती है।
- इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में और निर्माण सामग्री में किया जाता है।
4. आग्नेय चट्टानों का महत्व:
- खनिज संसाधन: आग्नेय चट्टानों में कई महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जैसे तांबा, लोहा, सोना, चांदी, और हीरा।
- निर्माण में उपयोग: ग्रेनाइट और बेसाल्ट जैसी आग्नेय चट्टानों का उपयोग इमारतों, सड़कों, पुलों और अन्य निर्माण कार्यों में किया जाता है।
- ज्वालामुखीय गतिविधि का अध्ययन: बहिर्मुखी आग्नेय चट्टानें ज्वालामुखीय गतिविधियों और पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों की जानकारी देती हैं।
5. आग्नेय चट्टानों का वितरण:
- आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के लगभग हर हिस्से में पाई जाती हैं। महासागरों के तल में अधिकांशतः बेसाल्ट पाई जाती है, जबकि महाद्वीपों में ग्रेनाइट जैसी चट्टानों का प्रचलन है।
- ज्वालामुखीय क्षेत्रों में आग्नेय चट्टानों की बहुलता होती है।
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