1. ऊँचाई:
- तटीय मैदान आमतौर पर समुद्र स्तर के करीब होते हैं, जिससे इनकी ऊँचाई आमतौर पर 0 से 300 मीटर (लगभग 0 से 1000 फीट) के बीच होती है। कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि डेल्टाई मैदान, ऊँचाई और भी कम होती है, जो समुद्र के किनारे के निकटतम होती हैं। इस क्षेत्र की स्थलाकृति और जलवायु इसे अन्य भौगोलिक क्षेत्रों से अलग बनाती है।
2. जलवायु:
- जलवायु: तटीय मैदानों की जलवायु आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और आर्द्र होती है। यहाँ की जलवायु का प्रमुख प्रभाव मॉनसून के मौसम पर होता है।
- गर्मी: गर्मियों में तापमान उच्च होता है, जो 30°C से 40°C तक पहुँच सकता है।
- वर्षा: इस क्षेत्र में सालाना औसत वर्षा 1000 से 2000 मिमी तक होती है, जो मानसून के दौरान अधिकतम होती है।
- नमीयता: समुद्री हवा के प्रभाव से यहाँ की आर्द्रता भी अधिक होती है, जो कृषि और स्थानीय पारिस्थितिकी पर प्रभाव डालती है।
3. स्थलाकृति:
- स्थलाकृति: तटीय मैदानों की स्थलाकृति विभिन्न भू-आकृतियों से मिलकर बनती है, जिसमें डेल्टाई क्षेत्र, समुद्री तट, और नम भूमि शामिल हैं।
- डेल्टाई क्षेत्र: जैसे कि गंगा-गंगा, गोदावरी, और कावेरी का डेल्टा, जो नदियों के तलछट से बनता है।
- समुद्री तट: तटरेखा में रेत के समुद्र तट, चट्टानी तट, और अन्य भौगोलिक विशेषताएँ शामिल होती हैं।
- आर्द्रभूमि: कई तटीय मैदानों में आर्द्रभूमियाँ भी पाई जाती हैं, जो जैव विविधता और जलवायु के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
4. जल निकासी प्रणाली
- नदियाँ और जलाशय: तटीय मैदानों में नदियाँ, झीलें, और अन्य जल निकासी प्रणालियाँ होती हैं, जो ताजे पानी की आपूर्ति करती हैं। ये जल निकाय तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- जल स्तर में परिवर्तन: समुद्र के जल स्तर में परिवर्तन, जैसे ज्वारीय लहरें, तटीय मैदानों की जल निकासी और भूगोल को प्रभावित कर सकते हैं।
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