धारवार प्रणाली का भौगोलिक विस्तार मुख्य रूप से भारत के प्राचीन भू-भागों में होता है और यह देश के दक्षिणी और मध्य क्षेत्रों में विस्तृत है। धारवार शैल समूह भारत की सबसे पुरानी चट्टानों में से हैं और लगभग 2.5 से 3.4 अरब वर्ष पुराने माने जाते हैं।
इस प्रणाली का विस्तार निम्नलिखित स्थानों पर है:
1. कर्नाटक क्षेत्र
- धारवार प्रणाली का प्रमुख विस्तार कर्नाटक राज्य में है, विशेष रूप से धारवाड़, बेल्लारी, चिक्कमगलूर, और शिमोगा जिलों में।
- यह क्षेत्र लौह अयस्क और सोने के भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
2. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्र
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में भी धारवार चट्टानें पाई जाती हैं, विशेषकर अनंतपुर और कडप्पा जिलों में।
- यहाँ भी खनिजों का अच्छा भंडार है, विशेषकर सोने और मैंगनीज के रूप में।
3. तमिलनाडु क्षेत्र
- तमिलनाडु के उत्तरी और पश्चिमी भागों में धारवार चट्टानों का विस्तार होता है, विशेषकर कृष्णगिरि और धर्मपुरी जिलों में।
- इस क्षेत्र में लौह अयस्क और बॉक्साइट के अच्छे भंडार पाए जाते हैं।
4. महाराष्ट्र क्षेत्र
- महाराष्ट्र के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में भी धारवार चट्टानें मिलती हैं, विशेष रूप से कोल्हापुर और सतारा जिलों में।
- इन चट्टानों में भी लौह अयस्क और अन्य खनिज पाए जाते हैं, जिनका आर्थिक महत्व है।
5. ओडिशा क्षेत्र
- धारवार प्रणाली का विस्तार ओडिशा राज्य के कुछ हिस्सों में भी है, विशेषकर क्योंझर और सुंदरगढ़ जिलों में।
- ओडिशा के इस हिस्से में लौह अयस्क, मैंगनीज, और बॉक्साइट के विशाल भंडार मिलते हैं।
6. मध्य प्रदेश क्षेत्र
- मध्य प्रदेश के कुछ दक्षिणी हिस्सों, विशेषकर बालाघाट और छिंदवाड़ा जिलों में धारवार प्रणाली की चट्टानें मिलती हैं।
- इस क्षेत्र में तांबा और अन्य धातुओं के भंडार पाए जाते हैं, जो खनिज संसाधनों के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
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