भारतीय मरुस्थल, विशेष रूप से थार और कच्छ, की जलवायु की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. गर्मी
- उच्च तापमान: भारतीय मरुस्थल के क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान तापमान 40 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है।
- तापमान में वृद्धि: दिन में तापमान अधिक होता है जबकि रात में यह काफी गिर सकता है, जिससे दिन-रात के तापमान में भिन्नता होती है।
2. शुष्कता
- वर्षा की कमी: भारतीय मरुस्थल में वर्षा की मात्रा बहुत कम होती है। थार में वार्षिक वर्षा 100-500 मिमी होती है, जबकि कच्छ में यह 300-400 मिमी है।
- सिंचाई के लिए पानी की कमी: जल का अभाव कृषि और अन्य गतिविधियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनाता है।
3. वातावरणीय विशेषताएँ
- गर्मी और ठंड का अंतर: गर्मियों में तापमान उच्च होने के कारण दिन में बहुत गर्म होता है, जबकि रात में यह ठंडा हो जाता है। यह स्थिति मरुस्थलीय जलवायु की विशेषता है।
- सर्दियों में ठंडक: सर्दियों में, विशेष रूप से नवंबर से फरवरी के बीच, तापमान में गिरावट देखी जाती है और कभी-कभी यह 0 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
4. हवा की गति
- तेज हवाएँ: गर्मियों में, तेज हवाएँ चलती हैं जो मरुस्थलीय क्षेत्र में धूल और रेत को उड़ाकर अन्य क्षेत्रों में फैला देती हैं।
- वायुमंडलीय दबाव: उच्च वायुमंडलीय दबाव के कारण गर्मियों में हवा की गति तेज होती है।
5. परिस्थितिकी प्रभाव
- वृष्टि की अनियमितता: यहाँ की जलवायु में वर्षा का वितरण अत्यधिक अनियमित होता है, जिससे जलवायु की शुष्कता बढ़ जाती है।
- सूर्य का विकिरण: उच्च सूर्य विकिरण के कारण यहाँ की भूमि में अधिक गर्मी होती है, जो पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित करती है।
6. विशिष्ट मौसम परिवर्तन
- मानसून का प्रभाव: मानसून के दौरान, जुलाई से सितंबर के बीच, मरुस्थल में वर्षा होती है, लेकिन यह वर्षा असमान होती है और विभिन्न स्थानों पर भिन्नता देखी जाती है।
- फसल चक्र: जलवायु की शुष्कता के कारण यहाँ की फसलें विशेष प्रकार की होती हैं, जैसे कि बाजरा, ज्वार, और अन्य सूखा सहिष्णु फसलें।
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