मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano) वे ज्वालामुखी होते हैं जो पिछले हजारों वर्षों में सक्रिय नहीं हुए हैं और जिनमें भविष्य में सक्रिय होने की कोई संभावना नहीं है। ये ज्वालामुखी अपने जीवनकाल के दौरान एक बार या कई बार विस्फोटित हुए हो सकते हैं, लेकिन अब वे पूरी तरह से शांत हो चुके हैं।
मृत ज्वालामुखी की विशेषताएँ
- अवास्तविक गतिविधि: मृत ज्वालामुखी में किसी भी प्रकार की ज्वालामुखीय गतिविधि नहीं होती है। ये लाखों वर्षों से निष्क्रिय हैं और इनमें मैग्मा का प्रवाह नहीं होता।
- संरचना और आकार: मृत ज्वालामुखी की संरचना अक्सर धीरे-धीरे समय के साथ बदलती है। कई बार ये ज्वालामुखी क्रमशः क्षीण होते जाते हैं, और उनका आकार पहाड़ों या अन्य भूआकृतिक संरचनाओं में बदल जाता है।
- भूगर्भीय अध्ययन: मृत ज्वालामुखी को भूविज्ञान और भूगर्भीय प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इनका अध्ययन हमें पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास और ज्वालामुखीय गतिविधियों के विकास को समझने में मदद करता है।
उदाहरण
- माउंट जॉर्जिया (Mount Georgia), जॉर्जिया:
- यह ज्वालामुखी अपने अंतिम विस्फोट के बाद पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया है।
- माउंट मेसर्व (Mount Meserve), अमेरिका:
- यह ज्वालामुखी अब मृत माना जाता है और इसके आसपास कोई सक्रिय ज्वालामुखीय गतिविधि नहीं है।
- माउंट केनिया (Mount Kenya), केन्या:
- यह एक मृत ज्वालामुखी है, जो अब सक्रिय नहीं है लेकिन इसका आकार और भूगर्भीय संरचना अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
- माउंट कोटोपैक्सी (Mount Cotopaxi), इकोडोर:
- यह एक प्रसिद्ध मृत ज्वालामुखी है, जो अब पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बना हुआ है।
मृत ज्वालामुखी का महत्व
- भूविज्ञान का अध्ययन: मृत ज्वालामुखी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करते हैं और पृथ्वी की विकास यात्रा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- पर्यावरणीय अध्ययन: ये ज्वालामुखी स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और उनकी गतिविधियों का अवलोकन करके हम प्राकृतिक संतुलन को समझ सकते हैं।
- पर्यटन: कई मृत ज्वालामुखी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। उनके चारों ओर स्थित प्राकृतिक सुंदरता और गतिविधियाँ लोगों को आकर्षित करती हैं।
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