वन पारिस्थितिकीय संरचनाओं की मौजूदा स्थिति और वन संरक्षण
भारत में वन पारिस्थितिकी (Forest Ecosystems) का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि ये न केवल जैव विविधता को बनाए रखते हैं, बल्कि जलवायु, जल प्रवाह और भूमि संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन पारिस्थितिकीय संरचनाओं की स्थिति में पिछले कुछ दशकों में विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, जिनका असर पर्यावरण और वन्यजीवों पर पड़ा है। इस लेख में हम वन पारिस्थितिकीय संरचनाओं की मौजूदा स्थिति और वन संरक्षण के प्रयासों पर चर्चा करेंगे।
वन पारिस्थितिकीय संरचनाओं की मौजूदा स्थिति
1.वनों की संकुचन और विकृति:
- पिछले कुछ दशकों में भारत में वन क्षेत्र में कमी आई है, जिसके कारण पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ा है। वन क्षेत्रों का अतिक्रमण, अवैध कटाई, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और कृषि गतिविधियों के कारण जंगलों की संकुचन की प्रक्रिया बढ़ी है।
- 1950 के दशक से लेकर अब तक, भारत में वनों की कटााई और भूमि उपयोग परिवर्तन के कारण वन पारिस्थितिकी तंत्र में गंभीर प्रभाव पड़ा है। इससे जैव विविधता पर असर पड़ा है और प्राकृतिक आवासों का नुकसान हुआ है।
2. जैव विविधता में कमी:
- वन पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की कमी एक गंभीर चिंता का विषय है। कई वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियाँ खतरे में हैं, और कई विलुप्त होने की कगार पर हैं। उदाहरण के लिए, हाथी, बाघ, तेंदुआ, और अन्य बड़ी प्रजातियाँ जंगलों के विकृति के कारण खतरे में हैं।
- इस समय भारत में विलुप्तप्राय प्रजातियाँ और संरक्षित वन्यजीवों की सूची में वृद्धि हो रही है, जो दर्शाता है कि पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन हो रहा है।
3. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन के कारण वन पारिस्थितिकीय संरचनाओं में गंभीर बदलाव हो रहे हैं। बढ़ता तापमान, अत्यधिक वर्षा, सूखा, और अन्य जलवायु संबंधी घटनाएँ वन क्षेत्रों की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं। इन परिवर्तनशील परिस्थितियों का वनस्पति और वन्यजीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन से वन पारिस्थितिकीय संरचनाओं में बदलाव आ रहा है, जिससे न केवल वन्यजीवों का वितरण बदल रहा है, बल्कि उनके प्राकृतिक आवास भी सिकुड़ रहे हैं।
4. पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट:
- वनों की अतिक्रमण और पारिस्थितिकीय संतुलन में कमी के कारण, पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट देखी जा रही है। यह मिट्टी के कटाव, बाढ़, सूखा, और जल स्रोतों की कमी जैसे गंभीर पर्यावरणीय संकटों का कारण बनता है।
- प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण और जंगलों की अनियंत्रित कटाई ने पारिस्थितिकीय तंत्र को असंतुलित कर दिया है, जिससे कई पारिस्थितिकीय सेवाएँ प्रभावित हो रही हैं।
वन संरक्षण के प्रयास
भारत में वन संरक्षण के लिए कई योजनाएँ और पहल की गई हैं।
निम्नलिखित प्रमुख प्रयास हैं:
1.राष्ट्रीय वन नीति (National Forest Policy):
- भारत में 1988 में राष्ट्रीय वन नीति का पुनरीक्षण किया गया, जिसका उद्देश्य वनों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य वनों का वृध्दि, संरक्षण, और स्थानीय समुदायों के कल्याण को बढ़ावा देना है।
- इसके अंतर्गत वनों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई पहल की जाती हैं, जैसे कि वृक्षारोपण, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना, और पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना।
2. प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger):
- 1973 में शुरू किया गया प्रोजेक्ट टाइगर भारत में बाघों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी। यह प्रोजेक्ट बाघों के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और उनके जीवन को सुरक्षित रखने के लिए काम करता है।
- इसके तहत भारत में कई राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य स्थापित किए गए हैं, जहां बाघों की आबादी को संरक्षित किया जाता है।
3. प्रोजेक्ट हाथी (Project Elephant):
- 1992 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट हाथी हाथियों के संरक्षण के लिए है। इसका उद्देश्य हाथियों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है।
4. सार्वजनिक और सामुदायिक वानिकी (Public and Community Forestry):
- सामाजिक वानिकी (Social Forestry) और सार्वजनिक वानिकी जैसी पहलें ग्रामीण समुदायों को वनों के संरक्षण में भागीदारी देने के लिए बनाई गई हैं। इसके माध्यम से स्थानीय लोग वन संसाधनों का सतत उपयोग करने और उनकी सुरक्षा के लिए सशक्त होते हैं।
5. वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों का नेटवर्क:
- भारत में विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों का नेटवर्क विकसित किया गया है, जो वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में सहायक हैं। ये संरक्षित क्षेत्र जंगलों और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं।
6. जैव विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation):
- भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम (2002) और जैव विविधता कार्य योजना (National Biodiversity Action Plan) जैसी योजनाएँ बनाई गई हैं। इन योजनाओं के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता का संरक्षण किया जा रहा है।
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