धारवार प्रणाली (Dharwar System) भारत के दक्षिणी और मध्य भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक संरचना है, जो प्राचीन चट्टानों और जीवाश्मों का समृद्ध भंडार प्रदान करती है। यह प्रणाली मुख्यतः आर्कियन और प्रोटेरोज़ोइक युग की चट्टानों से बनी है, जिसमें प्राचीन जीवन के प्रमाण भी शामिल हैं। यहाँ धारवार प्रणाली के भूतात्त्विक अध्ययन, प्राचीन जीवन के प्रमाण (फॉसिल्स) और उनके अध्ययन के विभिन्न पहलुओं का विवरण दिया जा रहा है:
1. धारवार प्रणाली का भूवैज्ञानिक महत्व
- आयु: धारवार प्रणाली का निर्माण लगभग 3.5 अरब से 2.5 अरब वर्ष पहले हुआ था। यह आर्कियन और प्रोटेरोज़ोइक युग के दौरान उत्पन्न हुई थी, जिससे यह भारत की सबसे पुरानी चट्टानों में से एक मानी जाती है।
- स्ट्रेटिग्राफी: धारवार प्रणाली में विभिन्न प्रकार की चट्टानें, जैसे कि ग्रेनाइट, शील्ड, और विभिन्न प्रकार की सरसों चट्टानें पाई जाती हैं। इन चट्टानों का अध्ययन भूतात्त्विक और भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
2. प्राचीन जीवन के प्रमाण (फॉसिल्स)
- फॉसिल्स का महत्व: फॉसिल्स प्राचीन जीवों के अवशेष होते हैं, जो धरती के इतिहास और जीवन के विकास को समझने में महत्वपूर्ण होते हैं। धारवार प्रणाली में विभिन्न प्रकार के फॉसिल्स पाए जाते हैं, जो प्राचीन समुद्री जीवन और स्थलीय जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रमुख फॉसिल्स:
- माइक्रोफॉसिल्स: जैसे कि नैनो प्लांकटन, कोक्लियोलाइट्स, और फॉसिल टर्फ। ये प्राचीन समुद्री जीवन के संकेत होते हैं।
- मैक्रोफॉसिल्स: जैसे कि विभिन्न प्रकार के कशेरुक और अविकसित जीवों के फॉसिल्स, जो स्थलीय पारिस्थितिकी का संकेत देते हैं।
3. फॉसिल्स के अध्ययन के तरीके
- स्ट्रेटिग्राफिक अध्ययन: धारवार प्रणाली में विभिन्न परतों के अध्ययन से फॉसिल्स की आयु और विकास को समझा जा सकता है। यह अध्ययन भूवैज्ञानिक कालक्रम को स्थापित करने में सहायक होता है।
- पैलियोजियोलॉजी: यह प्राचीन जीवों और उनके पारिस्थितिकी का अध्ययन है। पैलियोजियोलॉजिस्ट फॉसिल्स का उपयोग करके प्राचीन पर्यावरण, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण करते हैं।
- पैलियोन्टोलॉजी: यह जीवाश्म विज्ञान है, जिसमें फॉसिल्स का संग्रह, वर्गीकरण और विश्लेषण किया जाता है। यह जीवों के विकास, विविधता, और विलुप्ति की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
4. धारवार प्रणाली में प्राचीन जीवन के विकास के प्रमाण
- प्लेटफॉर्म्स और सीफ्लोर: धारवार प्रणाली में पाए जाने वाले जीवाश्मों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि प्राचीन समय में यहाँ समुद्री जीवन फल-फूल रहा था।
- विभिन्न जीवों के अवशेष: प्राचीन जलीय जीवों जैसे कि कोंक्रीशियन, बायोस्ट्रीम, और विभिन्न प्रकार के मछलियों के फॉसिल्स पाए गए हैं, जो दर्शाते हैं कि धारवार क्षेत्र में समुद्र की गहराई में जीवन की विविधता थी।
- पृथ्वी की भूगर्भीय क्रियाएँ: धारवार प्रणाली में पाए जाने वाले फॉसिल्स ने यह भी संकेत दिया है कि प्राचीन समय में यहाँ विभिन्न भूगर्भीय क्रियाएँ हुईं, जिससे जीवन के विकास में बदलाव आया
5. महत्व और निष्कर्ष
धारवार प्रणाली के भूतात्त्विक अध्ययन और प्राचीन जीवन के प्रमाणों का विश्लेषण न केवल भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है, बल्कि यह पृथ्वी के विकास और जैव विविधता के इतिहास का भी प्रकाश डालता है। फॉसिल्स के अध्ययन से हमें यह जानने को मिलता है कि जीवन के विकास के विभिन्न चरणों में क्या परिवर्तन हुए हैं और ये परिवर्तन कैसे पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हुए।
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