कडप्पा प्रणाली के क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र और वनस्पति विविधतापूर्ण है और इसमें कई प्रकार के जीव-जंतु और पौधे पाए जाते हैं। इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना, जलवायु और स्थलाकृतिक विशेषताओं के कारण यहाँ विशेष प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र और वनस्पतियाँ विकसित हुई हैं।
1. पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)
कडप्पा प्रणाली के क्षेत्र में प्रमुख रूप से निम्नलिखित पारिस्थितिक तंत्र पाए जाते हैं:
(i) शुष्क और अर्ध-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र (Dry and Semi-Arid Ecosystem)
- इस क्षेत्र की अधिकांश भूमि अर्ध-शुष्क होती है, जहाँ सूखे और कम वर्षा की स्थिति पाई जाती है।
- यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र निम्न वर्षा, उच्च तापमान, और शुष्क हवाओं के साथ अनुकूलित होता है।
- जलीय संसाधनों की कमी के कारण, यहाँ के पौधे और जानवर शुष्क परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए विशिष्ट अनुकूलन विकसित करते हैं, जैसे कि कटीले पौधे और कम पानी की आवश्यकता वाले पेड़।
(ii) झाड़ीदार वन पारिस्थितिकी तंत्र (Scrubland Ecosystem)
- कडप्पा प्रणाली के क्षेत्रों में झाड़ीदार वन पाए जाते हैं, जिनमें सूखी झाड़ियाँ, कंटीले पौधे और छोटे पेड़ होते हैं।
- यह पारिस्थितिकी तंत्र खासकर सूखे और अर्ध-शुष्क इलाकों में पनपता है, जहाँ मिट्टी की उर्वरता कम होती है और जल की कमी रहती है।
(iii) घास के मैदान (Grassland Ecosystem)
- कुछ हिस्सों में घास के मैदान भी होते हैं, जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में चरागाहों के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
- ये पारिस्थितिक तंत्र गाय, भैंस, बकरियों जैसे पशुओं के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं।
2. वनस्पति (Vegetation)
कडप्पा प्रणाली के क्षेत्र की वनस्पतियाँ ज्यादातर शुष्क और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों के लिए अनुकूलित हैं। यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ निम्नलिखित हैं:
(i) सूखी पर्णपाती वनस्पति (Dry Deciduous Vegetation)
- इस क्षेत्र में सूखी पर्णपाती वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो वर्षा के मौसम में अपने पत्ते खो देती हैं और गर्मियों में फिर से उगती हैं।
- यहाँ के पेड़ों में मुख्य रूप से सागवान (Teak), साल (Shorea robusta), और नीम (Neem) पाए जाते हैं। ये पेड़ सूखे की स्थिति में भी जीवित रह सकते हैं और कम पानी में पनपते हैं।
- अर्जुन (Terminalia arjuna) और बबूल (Acacia) भी यहाँ पाए जाते हैं, जो शुष्क और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में अच्छी तरह उगते हैं।
(ii) कंटीले पौधे (Thorny Shrubs)
- शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में कंटीले झाड़ियाँ और पौधे उगते हैं, जैसे कि बबूल (Acacia nilotica), कीकर (Prosopis juliflora) और कैक्टस (Cactus)।
- ये पौधे अपने जल संरक्षण क्षमता के लिए जाने जाते हैं और कठिन जलवायु परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं।
(iii) घास (Grass Species)
- कडप्पा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में विभिन्न प्रकार की घास भी उगाई जाती है, जो पशुपालन के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
- दूब घास (Cynodon dactylon) और ज्वार घास (Sorghum) जैसी घासें प्रमुख रूप से पाई जाती हैं, जो सूखे में भी अच्छी तरह उगती हैं।
(iv) औषधीय पौधे (Medicinal Plants)
- कडप्पा प्रणाली के क्षेत्र में कई औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं, जैसे तुलसी (Holy Basil), अश्वगंधा (Withania somnifera), और गिलोय (Tinospora cordifolia)।
- ये पौधे पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद में उपयोग होते हैं, और इनकी मांग स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ रही है।
3. जीव-जंतु (Fauna)
- वन्यजीव: कडप्पा प्रणाली के क्षेत्र में कई प्रकार के वन्यजीव भी पाए जाते हैं। प्रमुख जानवरों में तेंदुआ, सियार, जंगली सूअर, और हिरण शामिल हैं।
- पक्षी: इस क्षेत्र में प्रवासी और स्थायी पक्षियों की प्रजातियाँ भी देखी जाती हैं, जिनमें मोर, गिद्ध, और बगुले शामिल हैं।
- कीट और सरीसृप: सूखे और शुष्क जलवायु के कारण, यहाँ पर सरीसृप जैसे साँप और छिपकलियाँ भी प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के कीट, जैसे मधुमक्खियाँ और तितलियाँ, भी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।
4. मानव हस्तक्षेप और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव (Human Impact on Ecosystem)
- कृषि: कडप्पा प्रणाली के पारिस्थितिकी तंत्र पर कृषि का गहरा प्रभाव है। लगातार भूमि का उपयोग और सिंचाई ने कुछ हिस्सों में मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित किया है।
- खनन: कडप्पा क्षेत्र में खनिज संसाधनों की प्रचुरता के कारण खनन गतिविधियाँ भी होती हैं। खनन से पर्यावरणीय क्षति हो सकती है, जैसे वनस्पति का नाश और जल स्रोतों की कमी।
- शहरीकरण: शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण वन्यजीवों के निवास स्थानों में कमी आई है और पर्यावरण पर दबाव बढ़ा है।
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