प्रायद्वीपीय भारत की खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और औद्योगिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहाँ पर इन खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान विस्तार से वर्णित किया गया है:
1. औद्योगिक विकास में योगदान
- स्टील और धातु उद्योग: लौह अयस्क और मैंगनीज की उपस्थिति भारतीय स्टील उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है। भारत विश्व के प्रमुख स्टील उत्पादकों में से एक है, और स्टील उत्पादन का 40% से अधिक हिस्सा प्रायद्वीपीय भारत में होता है।
- ऊर्जा उत्पादन: कोयले का उपयोग थर्मल पावर स्टेशनों में किया जाता है, जो देश की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा करता है। कोयला भारत की ऊर्जा उत्पादन में 70% से अधिक योगदान देता है।
2. रोजगार सृजन
- खनन उद्योग: खनिज संसाधनों की खनन गतिविधियाँ लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करती हैं। इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों की संख्या हजारों में है, विशेषकर झारखंड, छत्तीसगढ़, और ओडिशा जैसे राज्यों में।
- स्थानीय विकास: खनिज क्षेत्रों में विभिन्न सहायक उद्योगों का विकास होता है, जैसे कि परिवहन, निर्माण, और स्थानीय सेवाएँ, जिससे स्थानीय समुदायों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
3. आय का स्रोत
- निर्यात: भारत के खनिज संसाधनों का निर्यात, विशेष रूप से लौह अयस्क, कोयला, और बॉक्साइट, देश की विदेशी मुद्रा में योगदान करता है। यह भारत को वैश्विक खनिज बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में मदद करता है।
- राजस्व सृजन: खनन से प्राप्त रॉयल्टी और कर राज्य और केंद्रीय सरकार के लिए महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत होते हैं। यह राजस्व विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाता है।
4. आर्थिक स्थिरता और विकास
- संचालन और अवसंरचना: खनिज संसाधनों के आधार पर कई बड़े उद्योग स्थापित होते हैं, जिससे परिवहन, ऊर्जा, और संचार जैसी अवसंरचनाओं का विकास होता है।
- नवाचार और प्रौद्योगिकी: खनिज संसाधनों के उत्पादन और प्रसंस्करण में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है, जिससे औद्योगिक क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
5. कृषि और अन्य उद्योगों पर प्रभाव
- उर्वरक उत्पादन: फॉस्फेट जैसे खनिजों का उपयोग उर्वरक बनाने में किया जाता है, जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- निर्माण उद्योग: सिलिका, क्ले, और अन्य निर्माण सामग्री के रूप में काम आने वाले खनिजों का उपयोग भवन निर्माण और अवसंरचना विकास में होता है।
6. पर्यावरणीय चुनौतियाँ
हालांकि खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके खनन और उपयोग से पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं, जैसे कि:
- पर्यावरणीय नुकसान: खनन गतिविधियाँ वनस्पति और जैव विविधता को नुकसान पहुँचाती हैं।
- जल प्रदूषण: खनन के कारण जल स्रोतों में प्रदूषण हो सकता है, जो स्थानीय समुदायों के लिए स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
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