पूर्वी तटीय मैदान भारत के पूर्वी तट पर फैले हुए हैं और यह क्षेत्र विभिन्न भौगोलिक, जलवायु, आर्थिक, और पारिस्थितिकी की विशेषताओं से समृद्ध है। यहाँ इस क्षेत्र की अधिक जानकारी दी गई है:
1. भौगोलिक विशेषताएँ:
- स्थान: पूर्वी तटीय मैदान बंगाल की खाड़ी के किनारे फैले हुए हैं, जो ओडिशा से लेकर तमिलनाडु तक विस्तारित हैं।
- प्रमुख नदियाँ: गोदावरी, कृष्णा, महानदी, और कावेरी जैसी नदियाँ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं, जो कृषि के लिए जल आपूर्ति करती हैं। ये नदियाँ डेल्टा का निर्माण करती हैं, जो जैव विविधता और कृषि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
2. जलवायु:
- इस क्षेत्र की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्म और आर्द्र गर्मियाँ होती हैं। मानसून के दौरान इस क्षेत्र में भारी वर्षा होती है, जो खेती के लिए महत्वपूर्ण है।
3. पारिस्थितिकी:
- जैव विविधता: पूर्वी तटीय मैदान जैव विविधता से भरे हुए हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के पौधे और जीव-जंतु शामिल हैं। यहाँ के मैंग्रोव वन समुद्री पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण हैं और समुद्र के तटीय क्षेत्रों को बाढ़ और तूफानों से बचाते हैं।
- संरक्षण क्षेत्र: कई राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्र इस क्षेत्र में स्थित हैं, जैसे कि Bhitarkanika National Park (ओडिशा) और Kolleru Lake (आंध्र प्रदेश), जो जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
4. आर्थिक गतिविधियाँ:
- कृषि: इस क्षेत्र में चावल, मक्का, तिल, और अन्य फसलों की खेती प्रमुख है। यहाँ की उर्वर भूमि कृषि उत्पादन के लिए अनुकूल है।
- मत्स्य पालन: तटवर्ती क्षेत्रों में मछली पकड़ने की गतिविधियाँ महत्वपूर्ण हैं। यहाँ के जलवायु और पारिस्थितिकी तटवर्ती समुदायों के लिए आर्थिक साधनों का स्रोत हैं।
- पर्यटन: इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जैसे कि पुरी (जगन्नाथ मंदिर) और चेन्नई (कापलेश्वर मंदिर), जो पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
5. संरक्षण और चुनौतियाँ:
- जलवायु परिवर्तन: इस क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे समुद्र स्तर में वृद्धि और बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
- प्रदूषण: औद्योगिक प्रदूषण और कचरा प्रबंधन की समस्या भी इस क्षेत्र में गंभीरता से मौजूद है।
- सुरक्षा प्रयास: तटीय क्षेत्रों के संरक्षण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएँ और परियोजनाएँ चल रही हैं, जैसे कि तटीय प्रबंधन योजनाएँ और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम।
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