सुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano) वे ज्वालामुखी होते हैं जो पिछले कुछ वर्षों या सदियों में सक्रिय नहीं हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इनकी गतिविधि फिर से शुरू होने की संभावना बनी रहती है। ये ज्वालामुखी पिछले समय में विस्फोटित हुए हैं, लेकिन वर्तमान में वे शांति के स्थिति में हैं।
सुप्त ज्वालामुखी की विशेषताएँ
- अवास्तविक गतिविधि: सुप्त ज्वालामुखी कई वर्षों, दशकों या शताब्दियों तक सक्रिय नहीं होते हैं। वे किसी भी प्रकार की ज्वालामुखीय गतिविधि नहीं दिखाते हैं, जैसे लावा प्रवाह, गैसों का उत्सर्जन, या भूकंप।
- पुनः सक्रिय होने की संभावना: सुप्त ज्वालामुखी फिर से सक्रिय हो सकते हैं, अगर उनके भीतर स्थित मैग्मा चेंबर में पर्याप्त दबाव और तापमान बनता है। यह गतिविधि किसी भी समय शुरू हो सकती है, इसलिए वैज्ञानिकों के लिए इनकी निगरानी महत्वपूर्ण है।
- भौगोलिक निर्माण: सुप्त ज्वालामुखी अक्सर अपने आस-पास के भूभाग को प्रभावित करते हैं। उनका आकार और संरचना बाहरी वातावरण में महत्वपूर्ण भूगर्भीय परिवर्तन लाते हैं।
उदाहरण
- माउंट फूजी (Mount Fuji), जापान:
- यह जापान का सबसे प्रसिद्ध सुप्त ज्वालामुखी है। इसकी अंतिम गतिविधि 1707 में हुई थी, लेकिन यह अब भी एक सक्रिय ज्वालामुखी के रूप में माना जाता है।
- माउंट ताम्बोरा (Mount Tambora), इंडोनेशिया:
- 1815 में एक बड़ा विस्फोट हुआ था, लेकिन इसके बाद यह ज्वालामुखी सुप्त हो गया है।
- माउंट रेनियर (Mount Rainier), अमेरिका:
- यह एक सुप्त ज्वालामुखी है जो पिछले कुछ शताब्दियों से सक्रिय नहीं हुआ है, लेकिन इसका पुनः सक्रिय होना संभावित है।
- माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro), तंजानिया:
- यह एक सुप्त ज्वालामुखी है, जो दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वतों में से एक है।
सुप्त ज्वालामुखी का महत्व
- जलवायु अध्ययन: सुप्त ज्वालामुखी का अध्ययन जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को समझने में सहायक हो सकता है।
- पर्यावरणीय अध्ययन: ये ज्वालामुखी स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, और उनके आसपास के क्षेत्रों में विविध जैविक विविधता को बढ़ावा दे सकते हैं।
- विज्ञान और अनुसंधान: वैज्ञानिकों के लिए सुप्त ज्वालामुखी अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय हैं, जिससे वे ज्वालामुखीय गतिविधियों की भविष्यवाणी कर सकते हैं और मानवता को संभावित खतरों से बचा सकते हैं।
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