धारवार प्रणाली (Dharwar System) भारत की एक प्रमुख भूगर्भीय संरचना है, जिसमें प्रोटेरोजोइक युग के दौरान जीवन की विविधता का अध्ययन महत्वपूर्ण है। यह प्रणाली विशेष रूप से दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में फैली हुई है और इसका गठन लगभग 3.5 अरब से 2.5 अरब वर्ष पहले हुआ। यहाँ धारवार प्रणाली में प्रोटेरोजोइक युग के दौरान जीवन की विविधता का भूतात्त्विक अध्ययन विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है:
1. प्रारंभिक जीवन के प्रमाण
- सूक्ष्मजीवों का विकास: धारवार प्रणाली में पाए जाने वाले प्राचीन जीवाश्मों में बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीवों के प्रमाण मिलते हैं। ये एकल-कोशीय जीव प्रोटेरोजोइक युग के प्रारंभ में प्रमुख थे और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
- फॉसिल रिकॉर्ड: धारवार प्रणाली में विभिन्न प्रकार के फॉसिल पाए जाते हैं, जिनसे पता चलता है कि इस समय जीवन का विकास किस प्रकार हुआ। इनमें बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों के जीवाश्म प्रमुख हैं।
2. जीवों की विविधता का विकास
- माइक्रोफॉसिल्स: धारवार प्रणाली के चट्टानों में माइक्रोफॉसिल्स के प्रमाण मिलते हैं, जो प्रोटेरोजोइक युग में जीवन की विविधता को दर्शाते हैं। इनमें विशेष रूप से बैक्टीरिया और प्रोटिस्ट्स शामिल हैं।
- बहु-कोशीय जीव: प्रोटेरोजोइक युग के अंत में, बहु-कोशीय जीवों का विकास भी धारवार प्रणाली में देखने को मिलता है। ये जीव विभिन्न आकारों और संरचनाओं में विकसित हुए, जैसे कि शैवाल और अन्य जलीय जीव।
3. इडीकेरन जीवों का उदय
- इडीकेरन जीवों के प्रमाण: धारवार प्रणाली में इडीकेरन जीवों के कुछ प्रमाण भी पाए जाते हैं, जो प्रोटेरोजोइक युग के अंत में जटिलता में बढ़े। इनमें Dickinsonia और Charniodiscus जैसे जीव शामिल हैं। ये जीव बहु-कोशीयता के विकास को दर्शाते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलता: इडीकेरन जीवों के साथ पारिस्थितिकी तंत्र में भी जटिलता आई, जो दर्शाता है कि प्रोटेरोजोइक युग के अंत तक जीवन का विकास एक महत्वपूर्ण चरण में था।
4. जलवायु परिवर्तन और जीवन
- जलवायु के प्रभाव: धारवार प्रणाली में जीवन की विविधता पर जलवायु परिवर्तन का भी प्रभाव पड़ा। प्रोटेरोजोइक युग के दौरान ग्लेशियर्स का निर्माण और बर्फ की उम्र का आगमन हुआ, जिसने पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया।
- ऑक्सीजन का उत्पादन: धारवार प्रणाली में साइनेबैक्टीरिया द्वारा ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ, जिसने वातावरण में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद की। इससे जटिल जीवन के विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं।
5. जीवों का संरचनात्मक विकास
- जीवों की जटिलता: प्रोटेरोजोइक युग में धारवार प्रणाली के जीवों की संरचना में धीरे-धीरे जटिलता आई। इससे यह संकेत मिलता है कि जीवन के विकास में जैविक प्रक्रियाएँ सक्रिय थीं, जो जीवों के अस्तित्व और विकास में सहायक थीं।
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