महासागरीय और महाद्वीपीय ज्वालामुखियों का वितरण पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
हम इन दोनों प्रकार के ज्वालामुखियों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जिसमें उनकी विशेषताएँ, वितरण, गठन की प्रक्रिया और प्रमुख उदाहरण शामिल हैं।
महासागरीय ज्वालामुखी
1. विशेषताएँ:
- स्थान: महासागरीय ज्वालामुखी अक्सर महासागरों के तल पर स्थित होते हैं, विशेष रूप से प्लेट सीमाओं पर। ये आमतौर पर मध्य-अटलांटिक रीफ जैसी महासागरीय धाराओं पर पाए जाते हैं।
- विस्फोट की प्रकृति: महासागरीय ज्वालामुखियों का विस्फोट अपेक्षाकृत शांत होता है। लावा बहता है और समुद्र में फैलता है, जिससे समुद्री द्वीपों का निर्माण होता है।
- लावा की विशेषताएँ: महासागरीय ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा मुख्यतः बेसाल्टिक होता है, जो कम विस्फोटक होता है और इसे आसानी से प्रवाहित किया जा सकता है।
2. गठन की प्रक्रिया:
- महासागरीय ज्वालामुखी तब बनते हैं जब महासागरीय प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं या जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है।
- जब प्लेटें दूर होती हैं, तो मैग्मा ऊपर उठता है और समुद्र के तल पर लावा का निर्माण करता है।
3. उदाहरण:
- आइसलैंड: यह ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ मध्य-अटलांटिक रीफ के पास कई ज्वालामुखी हैं।
- हवाई द्वीप: ये द्वीप महासागरीय ज्वालामुखियों का एक अन्य उदाहरण हैं, जहाँ लावा समुद्र से ऊपर उठकर द्वीपों का निर्माण करता है।
महाद्वीपीय ज्वालामुखी
1. विशेषताएँ:
- स्थान: महाद्वीपीय ज्वालामुखी आमतौर पर महाद्वीपों पर पाए जाते हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ प्लेटें टकराती हैं।
- विस्फोट की प्रकृति: इनका विस्फोट अधिक भयंकर और विनाशकारी होता है। इनसे निकलने वाला लावा आमतौर पर अधिक चिपचिपा होता है, जिससे विस्फोट का दबाव बढ़ता है।
- लावा की विशेषताएँ: महाद्वीपीय ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा मुख्यतः ऐंडेसाइटिक और रियोलिटिक होता है, जो अधिक विस्फोटक और चिपचिपा होता है।
2. गठन की प्रक्रिया:
- महाद्वीपीय ज्वालामुखी तब बनते हैं जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है, जिससे मैग्मा उत्पन्न होता है जो महाद्वीपों पर उठता है।
- इन ज्वालामुखियों का निर्माण मुख्यतः भूगर्भीय दबाव और गर्मी से होता है, जो मैग्मा को सतह पर लाने का कार्य करता है।
3. उदाहरण:
- माउंट वेसुवियस (इटली): यह एक सक्रिय ज्वालामुखी है जो रोम के पास स्थित है और इसके विस्फोट ने पोंपेई शहर को नष्ट कर दिया था।
- माउंट रेनियर (अमेरिका): यह भी एक सक्रिय महाद्वीपीय ज्वालामुखी है, जो विस्फोटों की संभावनाओं के कारण न केवल भौगोलिक दृष्टि से बल्कि जनसंख्या के लिए भी खतरनाक है।
- किलिमंजारो (तंजानिया): यह अफ्रीका का सबसे ऊँचा पर्वत और एक विलुप्त ज्वालामुखी है।
वितरण के प्रमुख क्षेत्र
महासागरीय ज्वालामुखी के प्रमुख क्षेत्र:
- मध्य-अटलांटिक रीज: यह महासागरीय ज्वालामुखियों का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ प्लेटें दूर हो रही हैं।
- रिंग ऑफ फायर: प्रशांत महासागर के चारों ओर स्थित यह क्षेत्र विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों का घर है, जहाँ कई महासागरीय ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
महाद्वीपीय ज्वालामुखी के प्रमुख क्षेत्र:
- यूरोप: यहाँ कई सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जैसे माउंट वेसुवियस और माउंट एटना।
- एशिया: माउंट फूजी (जापान) और अन्य ज्वालामुखीय श्रृंखलाएँ।
- उत्तरी अमेरिका: यूटा और वायोमिंग में कई महाद्वीपीय ज्वालामुखी हैं।
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