धारवार प्रणाली (Dharwar System) प्राचीन धरती की एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक प्रणाली है, जिसमें कायांतरित (Metamorphic) और आग्नेय (Igneous) चट्टानों का विकास विशेष महत्व रखता है। ये दोनों प्रकार की चट्टानें भूगर्भीय प्रक्रियाओं के विभिन्न चरणों का परिणाम हैं और इनका अध्ययन पृथ्वी की विकासात्मक इतिहास को समझने में मदद करता है।
1. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks)
आग्नेय चट्टानें उन चट्टानों को कहा जाता है जो मैग्मा (मिश्रित चट्टान) के ठंडा होने और ठोस होने से बनती हैं। ये चट्टानें दो प्रकार की होती हैं:
अ) अंतर्देशीय आग्नेय चट्टानें (Intrusive Igneous Rocks)
- ये चट्टानें तब बनती हैं जब मैग्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग में ठंडी होकर ठोस रूप में परिवर्तित होता है।
- उदाहरण: ग्रेनाइट (Granite), दियोराइट (Diorite)।
ब) बाह्य आग्नेय चट्टानें (Extrusive Igneous Rocks)
- ये चट्टानें तब बनती हैं जब मैग्मा पृथ्वी की सतह पर निकलकर ठंडी होती है।
- उदाहरण: बेसाल्ट (Basalt), आंडेसाइट (Andesite)।
2. कायांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
कायांतरित चट्टानें उन चट्टानों को कहते हैं जो उच्च तापमान और दबाव के प्रभाव में परिवर्तनित होती हैं। ये परिवर्तन पहले से मौजूद चट्टानों (आग्नेय, अवसादी, या अन्य कायांतरित) में होते हैं।
कायांतरित चट्टानों के प्रकार:
- शिस्ट (Schist): यह चट्टान विशेष रूप से क्लीवेज (cleavage) की विशेषता रखती है और इसमें कई खनिज होते हैं।
- ग्नाइस (Gneiss): यह बैंडेड संरचना की होती है और विभिन्न खनिजों के स्तर के कारण इसका रंग भिन्न होता है।
3. धारवार प्रणाली में आग्नेय और कायांतरित चट्टानों का विकास
धारवार प्रणाली के अध्ययन में ये दोनों चट्टानें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके विकास के कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
आग्नेय चट्टानों का विकास:
- सृजनात्मक प्रक्रिया: आग्नेय चट्टानें ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती हैं। धारवार प्रणाली में इनका निर्माण प्राचीन समय में हुआ जब धरती के भीतर मैग्मा का संचित होना और फिर उसका ज्वालामुखी विस्फोट होना संभव हुआ।
- खनिज सामग्री: आग्नेय चट्टानों में उपस्थित खनिज सामग्री ने बाद की प्रक्रियाओं के लिए आधार प्रदान किया, जिससे कायांतरित चट्टानों का विकास हुआ।
कायांतरित चट्टानों का विकास:
- ताप और दबाव का प्रभाव: आग्नेय और अवसादी चट्टानों के ऊपर के दबाव और तापमान की स्थिति के कारण कायांतरित चट्टानों का निर्माण हुआ। यह प्रक्रिया दीर्घकालिक होती है और धीरे-धीरे चट्टानों के खनिजों की संरचना और गुणधर्म में परिवर्तन लाती है।
- भूगर्भीय गतिविधियाँ: भूगर्भीय गतिविधियों जैसे टेक्टोनिक प्लेटों का संचलन और ज्वालामुखीय गतिविधियों ने भी कायांतरित चट्टानों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. महत्व
- जीवाश्म अध्ययन: आग्नेय और कायांतरित चट्टानों का अध्ययन पृथ्वी के विकास और जीवाश्मों की आयु निर्धारण में मदद करता है।
- खनिज संसाधनों का उपयोग: इन चट्टानों में मौजूद खनिजों का आर्थिक महत्व भी है, जैसे कि ग्रेनाइट का उपयोग भवन निर्माण में होता है, और कायांतरित चट्टानों से विभिन्न धातुओं की प्राप्ति होती है।
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