प्रायद्वीपीय भारत में दक्कन का पठार, जिसे दक्कन पठार भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण भूभाग है। यह पठार विभिन्न प्राकृतिक विशेषताओं, जैसे जल प्रपातों और जलवायु के लिए जाना जाता है।
यहाँ दक्कन के पठार और उसमें पाए जाने वाले जल प्रपातों का विवरण दिया गया है:
दक्कन का पठार
1. भूगोल और संरचना
- स्थान: दक्कन का पठार भारत के मध्य और दक्षिणी भाग में स्थित है, जो लगभग 1,500 किमी² क्षेत्रफल में फैला है। यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और गुजरात में फैला हुआ है।
- ऊंचाई: पठार की ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 600 से 900 मीटर के बीच है। यह पठार मुख्यतः क्रेटेशियस युग की बेसाल्ट चट्टानों से बना है, जो लावा के फटने के कारण बने हैं।
2. जलवायु
- जलवायु प्रकार: दक्कन का पठार उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु में आता है, जिसमें गर्म ग्रीष्म, ठंडी सर्दी और वर्षा का एक विशिष्ट पैटर्न होता है।
- वर्षा: यहाँ मानसून के दौरान सामान्यतः 700 से 1,200 मिमी वर्षा होती है, जो कृषि के लिए अनुकूल है।
3. पौधों और जीवों की विविधता
- वनस्पति: दक्कन के पठार पर मुख्यतः उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते हैं। यहाँ की प्रमुख वनस्पतियों में सागौन, बांस, और विभिन्न प्रकार की झाड़ियाँ शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, लोमड़ी, और विभिन्न प्रकार के पक्षी जैसे पपीता, चिड़िया आदि पाए जाते हैं।
जल प्रपात
दक्कन का पठार विभिन्न जल प्रपातों के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता और पारिस्थितिकी में योगदान करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख जल प्रपातों का विवरण दिया गया है:
1. हंपी जल प्रपात (Hampi Waterfalls)
- स्थान: कर्नाटक में स्थित।
- विशेषता: यह जल प्रपात हंपी के ऐतिहासिक स्थल के निकट है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
2. जोग जल प्रपात (Jog Waterfalls)
- स्थान: कर्नाटक के शिरसी क्षेत्र में।
- विशेषता: यह भारत का सबसे ऊँचा जल प्रपात है, जिसकी ऊँचाई लगभग 253 मीटर है। यहाँ पानी चार धाराओं में गिरता है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
3. दुंडगा जल प्रपात (Dudhsagar Waterfalls)
- स्थान: गोवा और कर्नाटक की सीमा पर।
- विशेषता: यह जल प्रपात 310 मीटर ऊँचा है और यह दूध की तरह सफेद पानी के लिए जाना जाता है।
4. शिरगुल जल प्रपात (Shivganga Waterfalls)
- स्थान: कर्नाटक में।
- विशेषता: यह जल प्रपात अपनी खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण और विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
जल प्रपातों का आर्थिक और पर्यावरणीय योगदान
- पर्यटन: जल प्रपातों के आसपास के क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- पारिस्थितिकी: ये जल प्रपात पारिस्थितिकी संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे स्थानीय जल स्रोतों को पुनः चार्ज करते हैं और जैव विविधता का समर्थन करते हैं।
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