दक्कन का पठार प्रायद्वीपीय भारत का एक प्रमुख भू-आकृतिक क्षेत्र है, जो अपनी अनोखी भूगर्भीय संरचना, मिट्टी के प्रकार, जलवायु, और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह पठार भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग मध्य में स्थित है और भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है। दक्कन का पठार भारत के प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
1. भौगोलिक स्थिति और विस्तार
- दक्कन का पठार भारतीय उपमहाद्वीप के मध्य और दक्षिणी भाग में स्थित है।
- यह पठार उत्तर में सतपुड़ा और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं, पूर्व में पूर्वी घाट, और पश्चिम में पश्चिमी घाट से घिरा हुआ है।
- इसका विस्तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में होता है।
- इसकी औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर के बीच है, जबकि कुछ स्थानों पर यह अधिक ऊँचाई तक भी पहुँचता है।
2. भूगर्भीय संरचना
- दक्कन का पठार एक ज्वालामुखीय मूल का पठार है, जिसकी चट्टानें बेसाल्टिक लावा से बनी हैं।
- इसकी चट्टानें लगभग 60-65 मिलियन वर्ष पुरानी हैं और माना जाता है कि यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर ज्वालामुखीय गतिविधियों का परिणाम है।
- बेसाल्टिक चट्टानों के ठंडा होने से पठार पर सीढ़ीनुमा भू-आकृतियाँ बनीं, जिन्हें ट्रैप संरचनाएँ कहते हैं।
3. मिट्टी के प्रकार
- दक्कन के पठार में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है, जिसे “रेगुर मिट्टी” या कपास उगाने के लिए उपयुक्त मिट्टी कहा जाता है। यह मिट्टी बेसाल्टिक चट्टानों के विघटन से बनी है।
- इसके अलावा, कुछ स्थानों पर लाल मिट्टी और लैटराइट मिट्टी भी पाई जाती है।
4. जलवायु और वर्षा
- दक्कन का पठार उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र में स्थित है। यहां गर्मी का मौसम काफी गर्म होता है, जबकि सर्दियाँ अपेक्षाकृत ठंडी होती हैं।
- मानसून के दौरान पठार के पश्चिमी भाग में अधिक वर्षा होती है, क्योंकि पश्चिमी घाट में आने वाली हवाएँ वर्षा करती हैं।
- पठार के पूर्वी भाग में वर्षा कम होती है, जिससे इस क्षेत्र में अर्ध-शुष्क परिस्थितियाँ पाई जाती हैं।
5. नदियाँ और जल संसाधन
- दक्कन का पठार कई महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे – गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा, और कावेरी।
- नर्मदा और तापी नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं, जबकि अन्य नदियाँ पूर्व की ओर बहती हैं।
- पठार की नदियाँ सिंचाई और जलापूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
6. जैव विविधता और वनस्पति
- दक्कन का पठार विविध पारिस्थितिकी तंत्रों से समृद्ध है। यहां शुष्क पर्णपाती वन, घास के मैदान, और अर्ध-शुष्क जंगल पाए जाते हैं।
- यहाँ कई प्रकार के वन्यजीव भी पाए जाते हैं, जिनमें तेंदुआ, भेड़िया, चीतल, नीलगाय, और कई प्रकार के पक्षी शामिल हैं।
- पठार में घास के मैदान और झाड़ियाँ भी पाई जाती हैं, जो इसे पशुपालन और कृषि के लिए अनुकूल बनाती हैं।
7. आर्थिक महत्व
- दक्कन का पठार कृषि, खनिज संसाधनों, और उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहाँ की काली मिट्टी कपास, तंबाकू, सोयाबीन, मूंगफली, और दालों जैसी फसलों के लिए उपयुक्त है।
- पठार खनिज संपदा से भी भरपूर है; यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, तांबा, और चूना पत्थर जैसे खनिज पाए जाते हैं।
- खनिज संसाधनों की उपलब्धता के कारण यहाँ खनन उद्योग और भारी उद्योगों का भी विकास हुआ है।
8. संस्कृति और सामाजिक महत्व
- दक्कन का पठार सांस्कृतिक दृष्टि से विविध और समृद्ध है। यहां विभिन्न जातीय समूह, भाषा और संस्कृति वाले लोग रहते हैं।
- यह क्षेत्र अपने स्थापत्य, लोक कला, संगीत, और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है।
- पठार पर कई ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जैसे – बीजापुर, हम्पी, और बदामी, जो भारत के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
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