क्रायोजोइक (Cryogenian) युग प्रोटेरोजोइक महाकल्प का दूसरा कालखंड है, जो लगभग 720 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर 635 मिलियन वर्ष पूर्व तक फैला था। इसे पृथ्वी के इतिहास का सबसे ठंडा युग माना जाता है, जिसमें बर्फीली जलवायु ने व्यापक ग्लेशिएशन की स्थिति उत्पन्न की। इस समयावधि में पृथ्वी की सतह का एक बड़ा हिस्सा बर्फ और बर्फानी चादरों से ढका हुआ था, जिसे “स्नोबॉल अर्थ” (Snowball Earth) के रूप में भी जाना जाता है।
क्रायोजोइक युग के दौरान बर्फ युग
क्रायोजोइक युग में अत्यधिक ठंड के कारण दो बड़े ग्लेशियाई चरण हुए:
- स्टर्टियन ग्लेशिएशन (Sturtian Glaciation): यह चरण लगभग 720 से 660 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच हुआ। यह अब तक की ज्ञात सबसे लंबी ग्लेशियाई अवधि थी, जिसमें संपूर्ण पृथ्वी संभवतः बर्फ से ढकी थी।
- मेरिनोआन ग्लेशिएशन (Marinoan Glaciation): यह लगभग 650 से 635 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच हुआ और इसके दौरान भी व्यापक ग्लेशिएशन की स्थिति रही।
बर्फ युग के पर्यावरणीय प्रभाव
- संपूर्ण पृथ्वी पर बर्फ की चादर: इस युग में पृथ्वी के समतल और समुद्री क्षेत्र बर्फ की चादर से ढक गए थे। इस ग्लेशिएशन ने पृथ्वी के जलवायु तंत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए और धूप को बर्फ की सतह से वापस परावर्तित कर दिया, जिससे वैश्विक तापमान में भारी गिरावट आई।
- महासागरीय जीवन पर प्रभाव: समुद्र की सतह पर जमी बर्फ ने महासागरीय वातावरण को सीमित कर दिया, जिससे कई जीवन-आधारित गतिविधियाँ प्रभावित हुईं। केवल गहरे समुद्र में रहने वाले जीव ही इस स्थिति में जीवित रह पाए, और उनका विकास धीमा हो गया।
- वायुमंडलीय परिवर्तन: क्रायोजोइक युग में वायुमंडलीय CO₂ और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर कम हो गया था। इसके कारण पृथ्वी का तापमान और भी कम हो गया। ग्लेशिएशन के बाद, ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण वायुमंडल में CO₂ की वृद्धि हुई, जिसने अंततः पृथ्वी को गर्म किया और ग्लेशिएशन समाप्त हुआ।
जैविक प्रभाव और जीवन की विविधता
- बहुकोशिकीय जीवन का विकास: क्रायोजोइक के कठोर वातावरण में जीवों ने सहिष्णुता और अनुकूलनशीलता का विकास किया। इसका प्रभाव विशेष रूप से बहुकोशिकीय जीवन के विकास पर पड़ा, जिससे इस युग के बाद एडिएकरन युग में अधिक जटिल जीवों की उत्पत्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- विकासशील सूक्ष्मजीव: क्रायोजोइक युग में कई सूक्ष्मजीव जैसे शैवाल और सायनोबैक्टीरिया बर्फीले महासागरों में जीवित रहे, जिनका विकास एडिएकरन युग में बहुकोशिकीय जीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बना।
क्रायोजोइक युग का भूवैज्ञानिक और वैज्ञानिक महत्व
- जलवायु अध्ययन: यह युग पृथ्वी की जलवायु प्रणाली और इसके बदलावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। “स्नोबॉल अर्थ” परिकल्पना के अनुसार, इस युग के अध्ययन से यह पता चलता है कि पृथ्वी का तापमान कैसे तेजी से बदल सकता है और इसके नतीजे क्या होते हैं।
- जीवन के विकास में योगदान: क्रायोजोइक युग के कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों ने जीवों में सहनशीलता और अनुकूलन की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया, जिससे बाद के युगों में जीवन के अधिक जटिल रूपों का विकास संभव हुआ।
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