हिमालय पर्वत श्रृंखला के निर्माण में भारतीय प्लेट का महत्वपूर्ण योगदान है, जो भूवैज्ञानिक इतिहास में एक बड़ी घटना मानी जाती है। यह घटना भारतीय प्लेट के गोंडवाना महाद्वीप से अलगाव और इसके यूरेशियन प्लेट से टकराव के परिणामस्वरूप हुई।
नीचे हिमालय के निर्माण में भारतीय प्लेट की भूमिका को विस्तार से समझाया गया है:
1. भारतीय प्लेट का गोंडवाना से अलगाव और प्रवास
- लगभग 130-120 मिलियन वर्ष पहले, भारतीय प्लेट गोंडवाना महाद्वीप से अलग हो गई थी। इसके बाद यह स्वतंत्र रूप से उत्तर की ओर बढ़ने लगी।
- भारतीय प्लेट की गति लगभग 15-20 सेंटीमीटर प्रति वर्ष थी, जिससे यह अन्य टेक्टोनिक प्लेटों की तुलना में काफी तेज़ी से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही थी।
2. भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव
- लगभग 50-60 मिलियन वर्ष पहले, भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ते हुए यूरेशियन प्लेट से टकराई। यह टकराव एक टेक्टोनिक घटना थी, जिसमें भारतीय प्लेट का उत्तरी किनारा यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने के बजाय उससे टकरा गया।
- इस टकराव के कारण भारतीय प्लेट का ऊपरी भाग यूरेशियन प्लेट के ऊपर चढ़ने लगा, जिससे भू-आकृति में व्यापक बदलाव हुए। इसी कारण एक बड़े पैमाने पर भूमि का उठाव हुआ और हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ।
3. हिमालय का निर्माण और सतत विकास
- टकराव के परिणामस्वरूप, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच संपीड़न की प्रक्रिया शुरू हो गई, जिससे हिमालय की चट्टानें ऊपर उठती गईं। इस संपीड़न के कारण चट्टानें मोड़ खाती गईं और पर्वतों का निर्माण हुआ।
- हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण आज भी जारी है, क्योंकि भारतीय प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने की कोशिश कर रही है। इसके कारण हिमालय प्रति वर्ष लगभग 5-10 मिलीमीटर की दर से ऊँचा हो रहा है।
4. हिमालय के निर्माण के कारण भू-आकृति में बदलाव
- हिमालय के निर्माण से उत्तरी भारतीय मैदानों का भी निर्माण हुआ, क्योंकि हिमालय से बहने वाली नदियों ने इस क्षेत्र में जलोढ़ मिट्टी का निक्षेपण किया।
- इसके अलावा, इस घटना ने भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु को भी प्रभावित किया। हिमालय ने भारतीय उपमहाद्वीप को शीतकालीन हवाओं से बचाकर उष्णकटिबंधीय जलवायु की स्थिति को बनाए रखा।
5. भूगर्भीय विशेषताएँ और महत्व
- हिमालय के निर्माण ने पृथ्वी पर टेक्टोनिक गतिविधियों, भूगर्भीय संरचना, और वैश्विक जलवायु पर गहरा प्रभाव डाला। यह क्षेत्र आज भी भूकंप-प्रवण है, क्योंकि दोनों प्लेटों के बीच संपीड़न और दवाब की प्रक्रिया जारी है।
- हिमालय पर्वत श्रृंखला में विभिन्न प्रकार के खनिज और जैव विविधता के क्षेत्रों का विकास हुआ, जो पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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