ज्वालामुखी विस्फोट के कारणों में महाद्वीपीय दरारें और विभाजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं या टकराती हैं, तो यह प्रक्रिया ज्वालामुखीय गतिविधियों को जन्म देती है। यहाँ हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे ये दरारें और विभाजन ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बनते हैं।
1. महाद्वीपीय दरारें
- परिभाषा: महाद्वीपीय दरारें वे क्षेत्र हैं जहाँ पृथ्वी की पपड़ी में दरारें आती हैं, और यह दरारें अक्सर तब बनती हैं जब दो टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं।
- विस्फोटक गतिविधियाँ: जब प्लेटें दूर जाती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप भूगर्भीय दबाव घटता है, जिससे मेग्मा सतह की ओर बढ़ता है। यह मेग्मा विस्फोट कर सकता है, जिससे ज्वालामुखी गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण: ग्रेट रिफ्ट वैली (पूर्व अफ्रीका) में महाद्वीपीय दरारें और ज्वालामुखी गतिविधियाँ हैं, जहां अफ्रीकी प्लेट के दो हिस्सों में विभाजन हो रहा है।
2. महाद्वीपीय विभाजन
- परिभाषा: महाद्वीपीय विभाजन उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसमें एक महाद्वीप के दो या अधिक हिस्से अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित होते हैं।
- विस्फोट के कारण: जब एक महाद्वीप दरारों के माध्यम से विभाजित होता है, तो उसके नीचे का मेग्मा धीरे-धीरे सतह की ओर आता है। इससे ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना बढ़ जाती है। यह विभाजन अक्सर ज्वालामुखी द्वीपों का निर्माण भी करता है।
- उदाहरण: मध्य-अटलांटिक रिज एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ उत्तर अमेरिकी प्लेट और यूरोपीय प्लेट अलग हो रही हैं, जिससे ज्वालामुखी गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं।
3. ज्वालामुखी विस्फोट के मुख्य कारण
- प्लेट विवर्तनिकी:
- दूर हटने वाली सीमाएँ (Divergent Boundaries): यहाँ पर प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं, और यह क्षेत्र ज्वालामुखी विस्फोट के लिए उपयुक्त होता है।
- सुपरडक्शन ज़ोन (Subduction Zones): जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है, तो उच्च दबाव और तापमान के कारण ज्वालामुखी गतिविधियाँ होती हैं।
- गर्मी और दबाव:
- जब प्लेटें खिसकती हैं, तो इसमें उत्पन्न गर्मी और दबाव मेग्मा के निर्माण में सहायक होते हैं। यह मेग्मा धीरे-धीरे सतह की ओर बढ़ता है, और विस्फोट के समय ज्वालामुखी के रूप में बाहर आता है।
- भूगर्भीय तनाव:
- दरारें और विभाजन के कारण भूगर्भीय तनाव बढ़ता है, जिससे ज्वालामुखीय विस्फोट की संभावना बढ़ जाती है।
4. ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव
- भूगोल परिवर्तन: ज्वालामुखी विस्फोट से नई चट्टानें बनती हैं और महाद्वीपों का भूगोल बदलता है।
- जलवायु परिवर्तन: विस्फोट से उत्पन्न धुंआ और गैसें जलवायु पर प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे वैश्विक तापमान में परिवर्तन हो सकता है।
- पारिस्थितिकी पर प्रभाव: ज्वालामुखीय गतिविधियाँ स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे वन्य जीवन पर असर पड़ता है।
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