मानसून की धार (Monsoon Current) भारतीय उपमहाद्वीप में मौसम के एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में कार्य करती है। यह विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम मानसून के संदर्भ में महत्वपूर्ण होती है, जो भारत में वर्षा का मुख्य स्रोत है।
आइए हम इसे विस्तार से समझते हैं।
1. मानसून की धार का परिचय
- परिभाषा: मानसून की धार एक वायुमंडलीय प्रवाह है, जिसमें हवाएँ विशेष दिशा से बहती हैं। यह प्रणाली समुद्र से आर्द्र वायु को लेकर आती है और यह वर्षा लाने का कार्य करती है।
- उत्पत्ति: मानसून की धार का निर्माण भूमि और समुद्र के तापमान के बीच के अंतर के कारण होता है। गर्म मौसम के दौरान, भूमि जल्दी गर्म होती है, जिससे वहाँ का वायुमंडल कम दबाव वाला हो जाता है।
2. मानसून की धार का निर्माण प्रक्रिया
- तापमान का अंतर: जब समुद्र का तापमान और भूमि का तापमान भिन्न होता है, तो यह वायुमंडलीय दबाव में अंतर का कारण बनता है। गर्मी के कारण भूमि पर वायुमंडल का दबाव कम होता है, और समुद्र से ठंडी आर्द्र हवा आने लगती है।
- दबाव का बदलाव: जब समुद्र से आर्द्र हवा भूमि पर पहुँचती है, तो यह उच्च दबाव क्षेत्र से निम्न दबाव क्षेत्र की ओर बहती है। यह प्रक्रिया मानसून की धार का निर्माण करती है।
- पवन धाराएँ: जब आर्द्र हवा पहाड़ों या उच्च क्षेत्रों से टकराती है, तो यह ठंडी होकर वर्षा में परिवर्तित होती है। इस प्रक्रिया को कूलिंग या ऑरोग्राफिक वर्षा कहते हैं।
3. दक्षिण-पश्चिम मानसून
- समय: दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर जून से सितंबर के बीच सक्रिय होता है। यह भारत में बारिश का मुख्य स्रोत है और इसके आने से समग्र जलवायु में परिवर्तन आता है।
- धारा का मार्ग: यह धारा समुद्र के पश्चिमी तट से शुरू होकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फैलती है। मानसून की हवाएँ पहले पश्चिमी घाट और फिर उत्तर की ओर बढ़ती हैं।
4. मानसून की धार का प्रभाव
- वर्षा की तीव्रता: जब यह आर्द्र हवाएँ पश्चिमी घाट से टकराती हैं, तो वहाँ भारी वर्षा होती है। इसके विपरीत, उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में कम वर्षा होती है। इस तरह, मानसून की धार भारतीय भूगोल को प्रभावित करती है।
- वर्षा का वितरण: मानसून की धार के प्रभाव से वर्षा का वितरण असमान होता है। भारत के पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी राज्य आमतौर पर अधिक वर्षा प्राप्त करते हैं, जबकि राजस्थान और अन्य आंतरिक भागों में वर्षा कम होती है।
5. जलवायु और कृषि पर प्रभाव
- कृषि: मानसून की धार भारतीय कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह धान, गेंहू, बाजरा और अन्य फसलों के लिए आवश्यक वर्षा प्रदान करती है। अच्छे मानसून का कृषि उत्पादन में वृद्धि पर सीधा प्रभाव होता है।
- जल संसाधन: मानसून की वर्षा जलाशयों, नदियों और भूमिगत जल स्तर को भरने में मदद करती है, जो पूरे वर्ष जल आपूर्ति में सहायक होती है।
6. वायुमंडलीय तंत्र और प्रभाव
- वायुमंडलीय दबाव प्रणाली: मानसून की धारें दक्षिण-पश्चिम में चलने वाली हवाओं से संबंधित होती हैं। ये हवाएँ आमतौर पर पश्चिमी तट पर उच्च दबाव क्षेत्र से निम्न दबाव क्षेत्र की ओर बहती हैं।
- ओरोग्राफिक प्रभाव: जब ये धाराएँ पहाड़ों के सामने आती हैं, तो ऊँचाई पर पहुँचकर ठंडी हो जाती हैं और वर्षा में परिवर्तित होती हैं।
7. मानसून के मौसम के पैटर्न
- उत्तरी मानसून: मानसून की धार के अन्य प्रकार भी होते हैं, जैसे कि उत्तर-पूर्वी मानसून, जो मुख्य रूप से अक्टूबर और नवंबर के दौरान सक्रिय होते हैं। ये धाराएँ बंगाल की खाड़ी से आती हैं और दक्षिण-पूर्व भारत में वर्षा करती हैं।
- गर्मी की प्रभाव: मानसून का आगमन भारतीय उपमहाद्वीप की गर्मी को कम करने में मदद करता है और तापमान को सामान्य करता है।
8. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की धार में भी परिवर्तन हो सकते हैं। तापमान वृद्धि और मौसम में असामान्यताएँ वर्षा के पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सूखा या अत्यधिक वर्षा जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
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