परीक्षा की प्रकृति:
बी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
- प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकृति
- मुख्य परीक्षा – वर्णनात्मक एवं वस्तुनिष्ठ प्रकृति
- साक्षात्कार – मौखिक
परीक्षा की प्रक्रिया :
प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया:
- सर्वप्रथम आयोग द्वारा परीक्षा संबंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है, उसके पश्चात् ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया संबंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गई होती है।
- विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
- फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यत: 3 से 4 माह पश्चात् प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
- प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केंद्रों पर संपन्न होती है।
- आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए पाँच संभावित विकल्पों (a, b, c, d और e) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
- प्रश्न से संबंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओएमआर सीट में उसके सम्मुख दिये गए संबंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
- वर्तमान में आयोग की इस प्रारंभिक परीक्षा में अन्य राज्यों से भिन्न केवल एक प्रश्न-पत्र सामान्य अध्ययन (वस्तुनिष्ठ) से प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या- 150 एवं अधिकतम अंक-150 निर्धारित है। इसका उत्तर अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा निर्धारित दो घंटे की समय सीमा में देना होता है।
- इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 60-70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकता है।
- प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिन्दी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते है। प्रश्न की भाषा संबंधी किसी भी विवाद की स्थिति में अंग्रेजी भाषा में छपे प्रश्नों को वरीयता दी जाएगी।
- प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
प्रारम्भिक परीक्षा में बदलाव क्या?
- परीक्षा प्रक्रिया में संशोधन करके 68वीं BPSC की प्रारंभिक परीक्षा से गलत उत्तर के लिये निगेटिव मार्किंग (एक चौथाई – 1/4 या 0.25 अंक) का प्रावधान किया गया है।
- यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा।
- प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम, प्रश्नपत्र, प्रश्न संख्या, अंकों के वितरण इत्यादि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। पाठ्यक्रम संबंधित विस्तृत विवरण के लिये पाठ्यक्रम शीर्षक का अध्ययन करें।
- अब इस परीक्षा के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिये चुने जाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कुल संसूचित रिक्तियों की दस गुना होगी (पूर्व में यह संख्या प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित कुल अभ्यर्थियों की संख्या का लगभग 10% होती थी)।
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