वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है और यह वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ इस उद्यान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: पश्चिमी चंपारण जिला, बिहार
- क्षेत्रफल: लगभग 898.08 वर्ग किलोमीटर
- स्थापना: 1990 में
- नाम: यह उद्यान महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है, जो संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध महाकवि और रामायण के लेखक थे।
वन्यजीव और पारिस्थितिकी
- वन्यजीव:
- बाघ: उद्यान में बाघों की उपस्थिति को संरक्षित किया जाता है और यह बाघ संरक्षण परियोजना का हिस्सा है।
- हाथी: यहाँ हाथियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आवास है।
- गैंडा: ग्रेट इंडियन वन गैंडा भी यहाँ पाया जाता है।
- तेंदुआ: तेंदुए की उपस्थिति भी यहाँ देखी जा सकती है।
- अन्य प्रजातियाँ: सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ।
- वनस्पति:
- वन: घने वर्षा वन और मिश्रित वन क्षेत्रों का समावेश।
- फ्लोरा: उद्यान में विभिन्न प्रकार की पेड़-पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे कि साल, सगवान, सागौन, और अन्य वनस्पतियाँ।
प्रमुख आकर्षण
- जंगल सफारी: वन्यजीवों को देखने के लिए जंगल सफारी की सुविधा उपलब्ध है।
- बर्ड वॉचिंग: विभिन्न पक्षियों की प्रजातियाँ देखने का अवसर।
- फोटोग्राफी और प्राकृतिक सौंदर्य: प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों की फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त स्थल।
संरक्षण प्रयास
- बाघ संरक्षण परियोजना: बाघों की सुरक्षा और उनकी जनसंख्या में वृद्धि के लिए विशेष योजनाएँ और कार्यक्रम।
- वन्यजीव निगरानी: वन्यजीवों की स्थिति और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए नियमित निगरानी।
- पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता: पर्यटकों और स्थानीय समुदायों को वन्यजीवों और उनके आवासों के महत्व के बारे में शिक्षित करना।
पहुंच और पर्यटकों के लिए जानकारी
- कैसे पहुँचे:
- वायु मार्ग: नजदीकी एयरपोर्ट पटना (बिहार) या गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से है। फिर सड़क मार्ग से उद्यान तक पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन पश्चिमी चंपारण जिले में है।
- सड़क मार्ग: बिहार और पड़ोसी राज्यों से सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।
- आवास: उद्यान के पास पर्यटकों के लिए कई आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे कि सरकारी गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट्स।
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान बिहार के वन्यजीवों और पारिस्थितिकीय संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों की विविधता इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाती है।
वन्यजीव अभयारण्य
बिहार में कई वन्यजीव अभयारण्य हैं, जो विभिन्न वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए स्थापित किए गए हैं। यहाँ बिहार के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों की सूची और विवरण दिया गया है:
1. गौतम बुद्ध वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान: गया जिला, बिहार
- क्षेत्रफल: लगभग 259 वर्ग किलोमीटर
- स्थापना: 1991
- विशेषताएँ:
- वन्यजीव: भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ।
- वनस्पति: मिश्रित वन और घने जंगल।
- संरक्षण प्रयास:
- वन्यजीव संरक्षण: स्थानीय और प्रवासी प्रजातियों की सुरक्षा के लिए कार्यक्रम।
- पारिस्थितिकी संतुलन: जंगलों और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए उपाय।
- पर्यावरणीय शिक्षा: स्थानीय समुदायों और पर्यटकों को वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना।
2. भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान: मुंगेर जिला, बिहार
- क्षेत्रफल: लगभग 681.99 वर्ग किलोमीटर
- स्थापना: 1986
- विशेषताएँ:
- वन्यजीव: भालू, तेंदुआ, नीलगाय, सांभर, और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ।
- वनस्पति: मिश्रित वन और घने जंगल।
- संरक्षण प्रयास:
- वन्यजीव संरक्षण: वन्यजीवों की निगरानी और उनके आवासों की रक्षा।
- पारिस्थितिकी संरक्षण: वनस्पतियों और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा।
3. कवर झील पक्षी अभयारण्य
- स्थान: बेगूसराय जिला, बिहार
- क्षेत्रफल: लगभग 67.5 वर्ग किलोमीटर
- स्थापना: 1989
- विशेषताएँ:
- पक्षी प्रजातियाँ: विभिन्न प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का निवास स्थान।
- जलवायु: ताजे पानी की झील और उसके आसपास की वनस्पतियाँ।
- संरक्षण प्रयास:
- पक्षी संरक्षण: प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित आवास।
- जल गुणवत्ता प्रबंधन: झील की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण।
4. राजगीर वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान: राजगीर, नालंदा जिला, बिहार
- क्षेत्रफल: लगभग 35.84 वर्ग किलोमीटर
- स्थापना: 1986
- विशेषताएँ:
- वन्यजीव: चीतल, सांभर, और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ।
- भौगोलिक स्थिति: राजगीर के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के निकट।
- संरक्षण प्रयास:
- वन्यजीव संरक्षण: स्थानीय वन्यजीवों के संरक्षण के लिए योजनाएँ।
- पर्यावरणीय शिक्षा: पर्यटकों और स्थानीय लोगों को वन्यजीवों के महत्व के बारे में शिक्षित करना।
5. विक्रमशिला गंगेय डॉल्फिन अभ्यारण
- यह अभ्यारण बिहार के भागलपुर जिले मे स्थित है।
- यह अभ्यारण भारत में अपनी तरह का पहला डॉल्फिन अभ्यारण है।
- बिहार सरकार ने 1990 में इसे गंगेय डॉल्फिन अभ्यारण के रूप में मान्यता प्रदान की है।
- यह अभ्यारण गंगा नदी में मुंगेर से भागलपुर के कहलगांव तक 60 किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
6. कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य
- कैमूर जिले में स्थित इस वन्य जीव अभ्यारण की स्थापना 1979 ईस्वी में हुई थी
- यह लगभग 1784.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत हैं.
- वन्य जीव अभ्यारण सोन नदी के किनारे स्थित है
- यहां मुख्य रूप से भेड़िया, चीतल, लंगूर इत्यादि वन्यजीव पाए जाते हैं
7. भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य (Bhimbandh Wildlife Sanctuary)
- भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य (Bhimbandh Wildlife Sanctuary in Hindi), 1976 में स्थापित, मुंगेर जिले में स्थित है। 681.99 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में दो मुख्य बायोम घास के मैदान और जंगल हैं।
- तलहटी और घाटी क्षेत्रों में कई गर्म झरने हैं, जिनमें से सबसे अच्छे भीमबांध, सीता कुंड और ऋषि कुंड में पाए जा सकते हैं।
- बाघ, पैंथर, जंगली सूअर, सुस्त भालू, सांभर हिरण, चीतल, चार सींग वाले मृग, और नीलगाय जीवों की महत्वपूर्ण प्रजातियों में से हैं।
- साल के जंगल, बांस के जंगल, घास के मैदान और अन्य प्रकार की वनस्पति महत्वपूर्ण हैं। मोर, ग्रे पार्ट्रिज, बटेर, मालाबार हॉर्नबिल, बाज़ और पतंग सहित जानवरों की किसी भी अन्य प्रजाति से अधिक, अभयारण्य अपने एवियन जीवन के लिए प्रसिद्ध है।
8. उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य | Udaypur Wildlife Sanctuary
- उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य, जिसे 1978 में स्थापित किया गया था, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है। 8.87 वर्ग किमी में फैला अभयारण्य गंडकी नदी के बाढ़ बेसिन में एक गोखुर झील पर स्थित है।
- चित्तीदार हिरण, भौंकने वाला हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय, सिवेट, भेड़िया, जंगली बिल्ली, साही, और अन्य जानवर महत्वपूर्ण जीवों में से हैं।
- दलदली लकड़ियाँ, शुष्क नदी के जंगल, खैर-सीसू वन और अन्य प्रकार की वनस्पतियाँ महत्वपूर्ण हैं। सर्दियों के दौरान, यह निवासी और प्रवासी जलीय पक्षियों के आवास के रूप में कार्य करता है।
9. रजौली वन्यजीव अभयारण्य:
- स्थान: रजौली, नवादा जिला, बिहार
- स्थापना: यह अभयारण्य 1978 में स्थापित किया गया था।
- विशेषता: रजौली वन्यजीव अभयारण्य वन्यजीवों की विविध प्रजातियों का घर है और विशेष रूप से यहाँ की वनस्पति और जीव-जन्तु की विविधता के लिए जाना जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के हिरण, तेंदुए, और कई प्रकार के पक्षी देखने को मिलते हैं।
10. कुशेश्वेरस्थान पक्षी अभ्यारण्य
- कुशेश्वरस्थान पक्षी अभ्यारण बिहार के दरभंगा जिला मे स्थित है।
- इसकी स्थापना 1994 ईस्वी में हुआ था।
- इसका विस्तार 29.21 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- उत्तर भारत का सबसे बड़ा पक्षी विहार है।
- यहाँ अक्टूबर माह में साइबेरियाई प्रवासी पक्षी आते हैं
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