बिहार की वनस्पति और वन क्षेत्रों का वितरण राज्य की जलवायु, मिट्टी, और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार विभिन्न प्रकार के वनस्पति आवरण में विभाजित है। यहाँ के वन क्षेत्र मुख्यतः राज्य के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में केंद्रित हैं। बिहार के वनों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और वन्यजीव पाए जाते हैं, जो पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वन क्षेत्रों का वितरण
1. दक्षिणी बिहार के वन
- क्षेत्र: मुख्यतः रोहतास, कैमूर, और गया जिलों में फैला हुआ।
- वनस्पति:
- प्रमुख वृक्ष: साल, शीशम, सागौन, पलाश, महुआ।
- अन्य पौधे: बांस, करंज, अर्जुन।
- विशेषताएँ:
- वन क्षेत्र पहाड़ी और पठारी भागों में स्थित है।
- मिट्टी लाल और लेटराइट प्रकार की होती है।
- यह क्षेत्र घने और मिश्रित प्रकार के वनों से ढका हुआ है।
2. पूर्वी बिहार के वन
- क्षेत्र: भागलपुर, बांका, और मुंगेर जिलों में स्थित।
- वनस्पति:
- प्रमुख वृक्ष: साल, महुआ, खैर।
- अन्य पौधे: बांस, तेंदू, अमलतास।
- विशेषताएँ:
- वन क्षेत्र पहाड़ी और पठारी भागों में स्थित है।
- मिट्टी लाल और लेटराइट प्रकार की होती है।
- यह क्षेत्र मिश्रित और घने वनों से ढका हुआ है।
3. उत्तर-पूर्वी बिहार के वन
- क्षेत्र: सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, और अररिया जिलों में स्थित।
- वनस्पति:
- प्रमुख वृक्ष: बांस, सरकंडा।
- अन्य पौधे: घास और झाड़ियाँ।
- विशेषताएँ:
- गंगा के मैदानी भाग में स्थित है।
- मिट्टी मुख्यतः जलोढ़ प्रकार की होती है।
- वन क्षेत्र छोटे और झाड़ियों से युक्त होते हैं।
भौगोलिक वितरण और वनस्पति के प्रकार
- तराई और उप-हिमालयी क्षेत्र:
- यह क्षेत्र पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, और सीवान जिले में फैला हुआ है। यहाँ साल (Shorea robusta) के घने जंगल प्रमुख हैं। इसके अलावा, बाँस, बांसुरी (Reed), और अन्य घासें भी इस क्षेत्र में पाई जाती हैं।
- इस क्षेत्र की वनस्पति गीली जलवायु और समृद्ध मिट्टी के कारण विकसित हुई है। वनों में पाए जाने वाले वृक्षों में सागौन, अंजीर, महुआ, अर्जुन, और नीम शामिल हैं।
- मैदानी क्षेत्र (गंगा के मैदान):
- यह बिहार का सबसे अधिक आबादी वाला और कृषि प्रधान क्षेत्र है, इसलिए यहाँ प्राकृतिक वनस्पति काफी हद तक समाप्त हो चुकी है। फिर भी, इस क्षेत्र में नीम, पीपल, बरगद, और जामुन जैसे वृक्ष पाए जाते हैं।
- इस क्षेत्र में कुछ प्राकृतिक वन क्षेत्रों को संरक्षित किया गया है, जिनमें कचनार, आम, और महुआ के पेड़ मिलते हैं। यहाँ घास के मैदान भी मिलते हैं जो कृषि कार्यों में सहायक होते हैं।
- दक्षिणी पठारी क्षेत्र:
- यह क्षेत्र दक्षिणी बिहार के गया, नवादा, जमुई, और औरंगाबाद जिलों में फैला है। यहाँ शुष्क पर्णपाती वनस्पति पाई जाती है, जो गर्मियों में अपने पत्ते गिरा देती है।
- प्रमुख वृक्षों में सखुआ, साल, खैर, पलाश, और सागौन शामिल हैं। इन वनों का आर्थिक महत्व है, क्योंकि यहाँ लकड़ी और अन्य वन उत्पाद मिलते हैं। यहाँ की मिट्टी लाल और पीली रंग की होती है, जो वनस्पति के विकास के लिए उपयुक्त है।
प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान
1. वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: पश्चिम चंपारण जिला।
- विशेषताएँ:
- बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान।
- प्रमुख वन्यजीव: बाघ, हाथी, हिरण।
- प्रमुख वनस्पति: साल, सागौन, बांस।
2. कांवर झील पक्षी अभयारण्य
- स्थान: बेगूसराय जिला।
- विशेषताएँ:
- प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध।
- प्रमुख वन्यजीव: सारस, बत्तख, चिड़िया।
- प्रमुख वनस्पति: जलकुंभी, सरकंडा।
3. भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान: मुंगेर जिला।
- विशेषताएँ:
- घने और मिश्रित वन क्षेत्र।
- प्रमुख वन्यजीव: बाघ, तेंदुआ, हिरण।
- प्रमुख वनस्पति: साल, शीशम, सागौन।
4. किजिर सोहैग सिमरी पक्षी अभयारण्य
- स्थान: खगड़िया जिला।
- विशेषताएँ:
- प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध।
- प्रमुख वन्यजीव: विभिन्न प्रकार के जलपक्षी।
- प्रमुख वनस्पति: घास, झाड़ियाँ।
वनस्पति और वन क्षेत्रों का महत्व
- पर्यावरण संतुलन: वन क्षेत्रों में वनस्पति का घनत्व पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और जलवायु को संतुलित रखता है।
- जैव विविधता: बिहार के वन क्षेत्र विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और पक्षियों का आवास हैं, जिससे जैव विविधता संरक्षित रहती है।
- आर्थिक महत्व: वनों से लकड़ी, औषधीय पौधे, और अन्य वन उत्पाद प्राप्त होते हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं।
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