केंद्रीय और बिहार राज्य के सरकारी संगठनों के बीच समन्वय विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी और निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह समन्वय विभिन्न स्तरों और पहलुओं में होता है, जिसमें संवैधानिक, वित्तीय, प्रशासनिक, और विधायी क्षेत्र शामिल हैं।
1. संवैधानिक प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद: अनुच्छेद 245-263 केंद्र और राज्य के बीच संबंधों को परिभाषित करते हैं।
- राज्यपाल की भूमिका: राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं और केंद्र-राज्य के बीच समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. वित्तीय समन्वय
- वित्त आयोग: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व वितरण का निर्धारण करता है।
- केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS): केंद्रीय योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिन्हें राज्य सरकारें लागू करती हैं। उदाहरण के लिए:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
- मिड-डे मील योजना
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA)
- GST परिषद: केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधियों का संगठन, जो वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित निर्णय लेता है।
3. प्रशासनिक समन्वय
- अखिल भारतीय सेवाएं: IAS, IPS, IFS जैसे सेवाएं केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर कार्य करती हैं।
- केंद्रीय योजनाओं का राज्य स्तर पर कार्यान्वयन: केंद्र की योजनाओं का कार्यान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है, जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY)।
- संयुक्त प्रशासनिक तंत्र: केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच नियमित बैठकें और समन्वय समितियां।
4. विकास और योजना
- नीति आयोग: राज्यों की विकास योजनाओं के लिए मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
- क्षेत्रीय विकास परिषदें: क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए केंद्रीय सहायता।
5. विधायी समन्वय
- संविधान संशोधन: कुछ संशोधनों के लिए राज्यों की सहमति आवश्यक होती है।
- विधायी परिषदें: संसद और राज्यों की विधानसभाओं के बीच समन्वय।
6. सुरक्षा और कानून व्यवस्था
- आंतरिक सुरक्षा: केंद्र और राज्यों के पुलिस बलों का समन्वय, विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन: आपदा के समय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय।
- अर्धसैनिक बल: राज्यों की आवश्यकताओं के अनुसार केंद्रीय बलों की तैनाती।
7. स्वास्थ्य और शिक्षा
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): केंद्र और राज्यों के बीच स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समन्वय।
- शिक्षा योजनाएं: सर्व शिक्षा अभियान, माध्यमिक शिक्षा अभियान आदि का कार्यान्वयन।
8. कृषि और ग्रामीण विकास
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): केंद्र और राज्यों के बीच कृषि योजनाओं का समन्वय।
- ग्रामीण विकास कार्यक्रम: मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि का कार्यान्वयन।
9. विवाद और समाधान
- सर्वोच्च न्यायालय: केंद्र और राज्यों के बीच विवादों के समाधान के लिए।
- विधायी परिषदें: विधायी विवादों के समाधान के लिए।
10. सूचना प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस
- डिजिटल इंडिया: केंद्र और राज्यों के बीच डिजिटल कार्यक्रमों का समन्वय।
- ई-गवर्नेंस पहल: विभिन्न स्तरों पर समन्वित ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का कार्यान्वयन।
11. स्वायत्त और सांविधिक संस्थान
- निर्वाचन आयोग: चुनाव प्रक्रिया का संचालन।
- वित्त आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग: विभिन्न सांविधिक संस्थानों के साथ समन्वय।
समन्वय के कुछ उदाहरण
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर गरीबों को आवास मुहैया कराते हैं। राज्य सरकारें लाभार्थियों की पहचान करती हैं और केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- स्वच्छ भारत मिशन: इस योजना में केंद्र और राज्य दोनों मिलकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चलाते हैं।
- आयुष्मान भारत योजना: इस योजना में केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है और राज्य सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करती हैं।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति: केंद्र सरकार नीति बनाती है और राज्य सरकारें इसे लागू करती हैं, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): आपदाओं के समय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय।
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