मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना
बिहार राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना को वर्ष 2012 में आरंभ किया गया था।
इस योजना के अंतर्गत राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों को रोजगार खोलने एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए 5 लाख रुपये तक का लोन प्रदान किया जाएगा।
इस योजना के शुरुआत में यानी 2012 से 2016 तक Alpsankhyak Rojgar Loan Yojana का बजट 25 करोड़ रूपये रखा गया था। इसके बाद 2016 से 2017 में इस योजना का बजट बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये कर दिया गया था। लेकिन इसके बाद 2017 में विभाग द्वारा मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना का बजट 100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना का उद्देश्य
बिहार सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य सभी अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। जिसके लिए उन्हें 5 लाख रुपये तक के लोन की सुविधा प्रदान की जाएगी ताकि वह अपना व्यवसाय शुरू कर सके।
बहुत से लोग आर्थिक तंगी के कारण अपना व्यवसाय शुरू नहीं कर पाते हैं जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जाती है। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आगे बढ़ने का एक अवसर मिलेगा और वह आत्मनिर्भर बन पाएंगे।
पात्रता:
- आयु सीमा: 18 से 50 वर्ष के बीच के अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति।
- शैक्षणिक योग्यता: न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं कक्षा पास।
- आय प्रमाण पत्र: आवेदक की वार्षिक आय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर होनी चाहिए।
- बिहार का निवासी: योजना का लाभ केवल बिहार के स्थायी निवासियों को मिलता है।
आवेदन प्रक्रिया:
1.पंजीकरण: इच्छुक आवेदक को स्थानीय जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में पंजीकरण कराना होता है।
2. आवेदन पत्र: योजना के तहत आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन पत्र भरना होता है।
3. सत्यापन: आवेदन की जाँच और सत्यापन के बाद, ऋण की राशि स्वीकृत की जाती है और आवेदक के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
कार्यान्वयन:
- अल्पसंख्यक कल्याण विभाग: योजना के कार्यान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी।
- राज्य सरकार: योजना के संचालन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होती है।
- स्थानीय अधिकारी: आवेदकों को योजना के लाभ और सहायता प्रदान करने में मदद करते हैं।
लाभ:
- आर्थिक सहायता: व्यवसाय शुरू करने या विस्तारित करने के लिए वित्तीय सहायता।
- रोजगार के अवसर: स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार सृजन।
- सामाजिक सुधार: अल्पसंख्यक समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार।
- आत्मनिर्भरता: अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करना।
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