बिहार में यूरेनियम के भंडार
बिहार में यूरेनियम के भंडार पाए जाते हैं, लेकिन फिलहाल उनका व्यावसायिक दोहन नहीं हो रहा है। आइये भंडारों के स्थान और वर्तमान स्थिति को देखें:
- भंडारों का स्थान:
- मुख्य रूप से गया, पटना और मुंगेर जिलों में स्थित हैं।
- गया जिले में राजगीर और डोभी प्रखंडों में यूरेनियम अयस्क पाया जाता है।
- पटना जिले में बख्तियारपुर प्रखंड में यूरेनियम अयस्क पाया जाता है।
- मुंगेर जिले में यूरेनियम भंडार होने की संभावना है, लेकिन अभी तक पुष्ट जानकारी नहीं मिली है।
यूरेनियम भंडार का उपयोग:
बिहार में यूरेनियम के भंडार का उपयोग मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र:
राजगीर में स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र बिहार में यूरेनियम का उपयोग करने वाला मुख्य केंद्र है। यह संयंत्र 2200 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है, जो राज्य की बिजली जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अनुसंधान और विकास:
यूरेनियम का उपयोग अनुसंधान और विकास में भी किया जाता है। पटना विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना जैसे संस्थान यूरेनियम का उपयोग विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों में करते हैं।
चिकित्सा:
- यूरेनियम का उपयोग कैंसर और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है। पटना में स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान कैंसर के इलाज के लिए रेडियोथेरेपी में यूरेनियम का उपयोग करता है।
- यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यूरेनियम का उपयोग विवादास्पद भी है।
स्वास्थ्य जोखिम:
- यूरेनियम के संपर्क में आने से स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी हो सकते हैं।
- इन चिंताओं के कारण, यूरेनियम के उपयोग को लेकर बहस जारी है।
- यह तय करना सरकार और जनता पर निर्भर है कि बिहार में यूरेनियम भंडार का उपयोग कैसे किया जाए।
यूरेनियम दोहन से जुड़े मुद्दे:
- पर्यावरणीय प्रभाव: यूरेनियम खनन और प्रसंस्करण रेडियोधर्मी पदार्थों को छोड़ सकता है, जिससे मिट्टी, पानी और हवा का प्रदूषण हो सकता है।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: रेडियोधर्मी विकिरण के संपर्क में आने से विकिरण बीमारी और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- सामाजिक प्रभाव: खनन गतिविधियों से भूमि अधिग्रहण और विस्थापन हो सकता है। साथ ही पारंपरिक व्यवसाय और जीवनशैली भी प्रभावित हो सकती है।
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